कलेक्टर से राजनीतिक का सफर
कलेक्टर ओपी चौधरी छत्तीसगढ़ गठन के बाद पहले एेसे आईएएस है, जिन्होंने हिन्दी माध्यम से आईएएस बनने में कामयाबी हासिल की। रायगढ़ के छोटे से गांव बायंग में रहने वाले चौधरी का आईएएस बनने का सफर संघर्षो से भरा रहा। वे बताते है कि 8 साल की उम्र में मेरे पिताजी का साया सिर से उठ गया। मां चौथी तक पढ़ी थी। दादा-दादी किसानी पर निर्भर थे। घर, गांव या आस-पास एेसा कोई माहौल नहीं था कि कोई मुझे आईएएस बनने को प्रेरित करें। पिताजी की पेंशन और अन्य जमा राशि को निकालने के लिए सरकारी दफ्तरों के चककर लगाए तो सरकारी सिस्टम को देखकर मन में यह बात आई कि इस सिस्टम को सुधारने के लिए प्रशासनिक सेवा में होना जरुरी है। बस यहीं से मंजिल पाने में जुट गए।
ओ पी . चौधरी पूर्व कलेक्टर आई ए एस रायपुर से अपना इस्तीफा देकर राजनीतिक में प्रवेश क्यों लिया कैसे लिया जो व्यक्ति अपने पूर्वकाल गरीबी में पलापोशा और राजनीतिक के सफर में आना एक समाज के लिये सोच का संदेह आ रहा हैं ओ.पी.चैदरी गरीब परिवार से निकले कैसे-कैसे उनका परिवार में पालन पोषन हुआ यंे एक संदेह समाज में आ रहा हैं जिस व्यक्ति को दुःख से सुख की ओर सुख संपत्ति आने पर व्यक्ति का दिमाक चंचलित हो जाता हैं , राजनीतिक में हर व्यक्ति कामयाबी नहीं पाता हैं जैसे -हमारे देश के मानीय प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी का भाग्य व किस्मत को लेकर कही ओ.पी.चैदरी सोचकर तो राजनीतिक में प्रवेश तो नही ंलिये,क्योंकि मनुष्य की सोच कही और रहती हैं और कही भटक जाता हैं जैसे कोरिया जिले में भगवान सिंह एक शिक्षक थे,राजनीतिक का उनके उपर भूत सवार था,उन्होनंे अपने पद से इस्तीफा देकर कांगे्रस मे टिकट का दावेदारी किये,ना तो कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया यह भी एक मिशाल हैं । भारत सरकार का नियम के अनुसार 20वर्ष के बाद में कंम्पेसेशन रिटायर मेंट लेते हैं तो शासन द्वारा उसको पूर्ण रूप से पेंशन प्राप्त होता हैं । आज हमारे भारत में ऐसा चलन चल रहा हैं, कि नौकरी छोडकर राजनीतिक का सफर अपनाया जा रहा हैं ,क्योंकि हर व्यक्ति को अपने वेतन पर संतुष्टी नहीं मिलता इसलिए राजनीतिक का सफर असान समझा जाता हैं ,क्योंकि इसमें अरबरपति बनना मामूली बात हो चुकी हैं क्येाकि कोई भी व्यक्ति जनता कि सेवा के लिये या जनता के दःख दर्द के लिये नहीं बनतें,क्यों ? आज कल के वक्त में सेवा का रूप बदल चुका हैं