जिला मुख्यालय सोनहत के समीप रामगढ़ क्षेत्र में गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के देवसिल मार्ग पर खनकोपर नदी के तट में बाघ का शव मिला है। जानकार सूत्र बताते है कि, गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान संचालक के लापरवाही से बाघ की मृत्यु हुई है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, बाघ को जहर देकर मारा गया है जो कि ग्रामवासियों द्वारा बाघ को जहर दिया गया है क्योंकि गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान के संचालक क्षेत्र में भ्रमण करते ही नहीं थे न ही कर्मचारियों को भेजते थे। जिससे बाघ को मारना आसान हो गया था।
मिली जानकारी के अनुसार, गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान पार्क में 3 बाघ आने की जानकारी प्राप्त हुई थी जिसमें से एक बाघ पटना क्षेत्र में घुमते नजर आया था। लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है कि, वह घुई क्षेत्र में पार हो गया है। और एक बाघ अभी भी पार्क में जीवित है। तथा एक बाघ को जहर देकर मार दिया गया। सोचने वाली बात है कि, किसी भी कर्मचारी को इस संबंध पर जानकारी न होना ये आश्चर्य की बात है।
जानकार सूत्र बताते है कि, बाघ को दूसरी जगह पर मारा गया था जिसके पश्चात उसे खनकोपर नदी के किनारे पर पहुंचा दिया गया। जब कई दिन से बाघ वहां पर पड़ा रहा और उसमें से बदबू आने लगी तब ग्रामीणों द्वारा वन विभाग को सूचित किया गया।
लोगों में तरह-तरह की चर्चाऐं है कि, पूर्व में भी इसी तरह संचालक की लापरवाही से दो बाघों को जहर देकर मारा गया था। जो कि गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान संचालक की देख-रेख में सभी बाघों की जिम्मेदारी संचालक थी। परंतु जब ग्रामीणों ने जानकारी दी तब वन विभाग की निंद खुली। जिससे लोग भड़के हुए है कि, क्या गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान मात्र कागजों पर फॉर्मेलिटी करने के लिए बना है?
जानकार सूत्र बताते है कि, सोनहत पार्क से लेकर रामगढ़ पार्क के आगे तक किसी भी वन विभाग के कर्मचारी को नहीं देखा जा सकता। वही बाघ को जहर देने का कारण वन विभाग की रेंज में रह रहे रहवासियों द्वारा बाघ की दहाड़ के कारण भयभित होना है क्योंकि वन विभाग के लापरवाही के कारण पार्क की जमीनों में रहवासियों निवासरत हो रहे है। जिससे लोगों का कहना है कि, निवासियों द्वारा ही जहर दिया गया है। साथ ही लोगों का कहना है कि, वन विभाग के रहवासियों को खाली कराया जाये जिससे वन प्राणियों की सुरक्षा हो सके। और बाघ की सबसे बड़ी चुक गुरू घासीदास राष्ट्रीय उद्यान संचालक की होती है। जो कि अपने जिम्मेदारी न सझकर व लापरवाही के कारण बाघ का मौत होना निश्चित हुआ है। राज्य शासन को इस घटना की कार्यवाही होना वन विभाग के कर्मचारियों पर निश्चित है।