बैकुण्ठपुर मुख्यालय में वन विभाग के द्वारा एक बैठक रखा गया था, उस बैठक में व्यक्तियों द्वारा अनेक प्रकार के संदेह/विचार आ रहे थे। लोगों का कहना है कि, एक पेड़ लगाये हरयाली का, दूसरा एक पोस्टर विमोचन का और तीसरा इस बस्ती में अथित-कथित पत्रकार थे परंतु और लोगों को क्यों नहीं पूछा गया ? जबकि मंच पर वरिष्ठ ही शोभा देता है।
देखा जाता है कि, सूरज सुबह निकलता है और शाम को अस्त होता है। कहने का मतलब यह है कि, सूरज, सूरज होता है सूरज के सामने लोगों को झुकना ही पड़ता है। सुबह हो या शाम सूरज को तो सूरज ही कहेंगे। उसी प्रकार जिन लोगों को पत्रकारिता चलाना सिखाया वही लोग आज चलना सीखा रहे है। आज के पीढ़ी के पत्रकारों को यह नहीं भूलना चाहिए कि, सीनियर, सीनियर होता है और जूनियर, जूनियर ही होता है। यहां तक कि, नयी पीढ़ी के पत्रकार संगठन बना-बनाकर अधिकारियों पर दबाव बना रहे है। जबकि संवादाता बैकुण्ठपुर के है पर सरगुजा संभाग में अपने मीडिया के नाम पर पैसा वसूलने जाते है। मालूम नहीं कि, प्रिंट मीडिया व इलेक्ट्रोनिक मीडिया में संपादक ऐसे लोगों को पनाह क्यों दे रहे है ?
लोगों में चर्चा है कि, वन विभाग के उच्च अधिकारियों के द्वारा जो प्रोग्राम रखा गया था। वह बुद्धिमत्ता का परिचय नहीं है। इसमें या तो भय का कारण है या पोस्टर की विमोचिता या वन विभाग का प्रोग्राम। लोगों में चर्चाऐं है कि, चेक भी दिया गया। वह किस हेड को दिया गया और किसे मिला अर्थात् पत्रकारों को दिया गया या व्यक्तिगत दिया गया ? इस समाचार का उद्देश्य कोई बेमानुष्ता/कटुता का विचार नहीं है। क्योंकि लोगों के द्वारा कहा गया कि, सिनियर सिटीजन पत्रकारों पर ध्यान न देकर। आज-कल के नयी पीढ़ी के पत्रकारों पर ध्यान दिया जा रहा है। जिनको ए.बी.सी.डी. का ज्ञान नहीं। यह भय का स्वरूप देखा जा रहा हैं।