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नरसिंहपुर : बच्चों को कुपोषण, एनीमिया और बीमारियों से बचाव का प्रबंधन करने हेतु जिला स्तरीय दस्तक अभियान संबंधी प्रशिक्षण संपन्न…………..

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नरसिंहपुर : जिले की समस्त एएनएम एवं एलएचव्ही का जिला स्तरीय प्रशिक्षण मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी नरसिंहपुर डॉ. राकेश बोहरे के निर्देशन में 13 जून एवं 14 जून को होटल सावित्री सिग्नेचर नरसिंहपुर में सम्पन्न हुआ।

      प्रशिक्षण में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. राकेश बोहरे ने बताया कि दस्तक अभियान के तहत 5 वर्ष तक के समस्त बच्चों तक पहुंच सुनिश्चित कर प्रत्येक बच्चे को आवश्यकतानुसार उपचार, सलाह एवं रेफर कार्य किया जाए। दस्तक अभियान में समस्त 09 माह से 5 वर्ष के बच्चों को समस्त 11 प्रकार की सेवायें प्रदाय की जाए। जिले की समस्त स्वास्थ्य केन्द्रों पर जिंक, ओआरएस कार्नर बनाए जाए। 25 जून से 27 अगस्त 2024 तक आयोजित आगामी 02 माह तक चलने वाले दस्तक अभियान के तहत एएनएम, आशा तथा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता का संयुक्त दल घर- घर जाकर बाल्यवस्था में होने वाली बीमारियों का आंकलन कर रोकथाम के लिए उचित प्रबंधन करेंगे। दस्तक अभियान के तहत दस्त, गंभीर कुपोषण की पहचान, एनीमिया, बच्चों में जन्मजात विकृतियों एवं टीकाकरण से शेष रहे बच्चों का चिन्हांकन करेंगे और उन्हें उपचार की सुविधा उपलब्ध कराई जायेगी तथा टीकाकरण आदि की सेवायें प्रदान की जाएगी। दस्तक अभियान के तहत टीमों द्वारा समस्त शिशु एवं बच्चों की स्क्रीनिंग तथा मानीटरिंग के लिए नियुक्त टीमों ‌द्वारा निगरानी रखी जाए।

      संभागीय समन्वयक एविडेंश एक्शन डॉ. दुर्गा प्रसाद कटरे ‌द्वारा प्रजेन्टेशन के माध्यम बताया कि दस्तक अभियान के दौरान विभिन्न कार्य संपादित किए जाएंगे। अभियान के तहत 5 वर्ष से कम उम्र के गंभीर कुपोषित बच्चों की सक्रिय पहचान, प्रबंधन एवं रेफरल, 6 माह से 5 वर्ष तक बच्चों में गंभीर एनीमिया की सक्रिय स्क्रीनिंग एवं प्रबंधन, 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में बाल्यकालीन दस्तक रोग की पहचान एवं नियंत्रण के लिए ओआरएस एवं जिंक के उपयोग संबंधी सामुदायिक जागरुकता में बढ़ावा एवं प्रत्येक घर में गृहभेंट के दौरान ओआरएस वितरित करें।

      जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. सुनील पटैल ने कहा कि प्रदेश में बाल मृत्यु प्रकरणों में कमी लाने के उद्देश्य से विभागों ‌द्वारा प्रतिवर्ष महिला एवं बाल विकास विभाग के समन्वय से दस्तक अभियान संचालित किया जाता है। मैदानी स्तर पर ब्लॉक स्तर से दिए गए प्लान अनुसार सभी एनएम, आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता टीम बनाकर घर- घर दस्तक देकर सेवायें प्रदान करें। 5 वर्ष से कम उम्र के गंभीर कुपोषित बच्चों की सक्रिय पहचान, (Active Case Finding) रेफरल एवं प्रबंधन समुदाय में बीमार नवजातो और बच्चों की पहचान,  प्रबंधन एवं रेफरल। 6 माह से 5 वर्ष तक के बच्चों में एनीमिया की सक्रिय स्क्रीनिंग एवं प्रोटोकॉल आधारित प्रबंधन, 9 माह से 5 वर्ष तक के समस्त बच्चों को आयु अनुरुप विटामिन ए अनुपूरण, 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों में बाल्यकालीन दस्त रोग की पहचान एवं नियंत्रण हेतु ओआरएस एवं जिंक के उपयोग संबंधी सामुदायिक जागरुकता में बढ़ावा और प्रत्येक घर में गृह भेंट के दौरान ओआरएस पहुँचाना है। बच्चों में दिखाई देने वाली जन्मजात विकृतियों (Birth Defects) एवं वृद्धि विलंब (Development Delay) की पहचान एवं उनका आरबीएस के कार्यक्रम से संबद्धीकरण करना। श्रवणबाधिता एवं दृष्टिदोष की पहचान/ पुष्टि कर आरबीएस के कार्यक्रम में पंजीयन कर उपचारित कराना। समुदाय में समुचित शिशु एवं बाल आहारपूर्ति संबंधी समझाईश समुदाय को देना। एसएनसीयू एवं एनआरसी से छुट्टी प्राप्त बच्चों में बीमारी की स्क्रीनिंग तथा फॉलोअप को प्रोत्साहन। गृह भेंट के दौरान आंशिक रूप से टीकाकृत एवं छूटे हुये बच्चों की टीकाकरण स्थिति की जानकारी लेना और श्रवणबाधिता एवं दृष्टिदोष की पहचान एवं रेफर।

      इस अवसर पर शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. राहुल सोधिया, डॉ. उपेन्द्र बस्त्रवार, डॉ. अमित सोनी, जिला कार्यक्रम प्रबंधक श्रीमती भारती चौरसिया, जिला कम्युनिटी मोबिलाईजर श्री मुकेश रघुवंशी, आहार विशेषज्ञ श्रीमती मनीषा नेमा, श्री विनोद प्रजापति, बीपीएम, बीसीएम श्री हेमन्त सोनी, श्री दुर्गा प्रसाद कटरे,  संभागीय समन्वयक एविडेंस एक्शन मौजूद थे।

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