कोरिया जिले के ब्लाॅक सोनहत में जनपद पंचायत सोनहत के सी.ओ. पर जनता द्वारा कई सवाल उठ रहे है। जानकार सूत्र बताते है कि, पंचायतों में हो रही धराशाही को देखकर लग रहा है कि, सी.ओ. के नेतृत्व में जो पंचायतों में कार्य के लिए धनराशि आती है। उसमें बंदरबांट किया जा रहा है। जानकार सूत्र बता रहे है कि, उसमें जनपद पंचायत सोनहत के सी.ओ. भी संलिप्त है। वहीं सचिवों द्वारा फर्जी बिल लगाकर पैसा निकाला जा रहा है। सचिवों का ये हाल है तो करोड़ों की आसामी बननी ही थी। जानकार सूत्र बताते है कि, यहां के सविच लगभग पच्चास लाख का मकान व लगभग 10-15 लाख के गाड़ी में चल रहे है। जबकि सचिव का वेतन लगभग 15-20 हजार रूपये है। अब देखा जाए तो उनके ऐशो आराम में कोई कमी नहीं है।
जानकार सूत्र बताते है कि, कैलाश गुप्ता जो कि रामगढ़ में निवासरत् है। उनके देख-रेख में भवन निर्माण, रोड निर्माण व प्रधानमंत्री आवास के लिए जो राशि आती है तो उसके हितग्राहिओं से पैसा ले लिया जाता है। और फर्जी बिल लगाकर पैसा निकाला जाता है। बताया जा रहा है कि, उनका बैकुण्ठपुर में करोड़ों का मकान है और लगभग पांच-सात ट्रक भी चल रहे है। जानकार सूत्र बताते है कि, इसी प्रकार उनके भाई लालजी गुप्ता द्वारा एक सरपंच उनके इशारे पर नाच रही है। जो कि अन्य परिवार से आते है। उनके माध्यम से पैसे के मामले में हेरा-फेरी किया जा रहा है। आज पद को देखते हुए करोड़ों के आसामी हो चुके है। बताया जाता है कि, उनका वन विभाग के नाका के पास करोड़ों का मकान निर्मित है। और एक ही छत के नीचे सभी सामान मिलता है। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि, कितना बड़ा व्यापारी है और ये सभी पंचायतों की देन है।
लोगों में चर्चा है कि, जनपद पंचायत सोनहत में सभी फर्जी बिलों पर कमिशन देकर पास कराए जाते है। बाबू से लेकर सी.ओ. तक कमिशन में डूबे हुए है। ऐसी पंचायते है जो कि एक ही सचिव दो-तीन पंचायत चला रहे है। बताया जाता है कि, वहां के सचिवों का ये हाल है कि, बिना छुट्टी लिए सप्तों तक अपने पंचायतों से गायब रहते है। वहां की पंचायते भगवान भरोसे चल रही है। महीनों में दो-चार रात अपने पंचायतों में जाते है। वो भी घण्टा-दो घण्टा के लिए। जिससे ग्रामीण जनता सचिवों से त्रस्त हो चुकी है। क्योंकि सचिव सभी सोनहत ब्लाॅक के नहीं है। कुछ सचिव पटना क्षेत्र से जाते है तो कुछ सचिव बैकुण्ठपुर क्षेत्र से जाते है। अब देखना यह है कि, कौन किसके ऊपर भारी पड़ता है ? जानकार सूत्र बताते है कि, बिना पैसे दिए कोई कार्य नहीं हो रहा है। अब इसकी जांच करे तो करे कौन ?