बैकुण्ठपुर मुख्यालय के जाने-माने कांग्रेसी नेता मुख्तार अहमद है। जो कि अपने नाम के पहचान के मोहताज नहीं है। उनके काम और नाम के चर्चे गली से लेकर सरगुजा संभाग स्तर के लोग भी परिचित है। उन्होनें लोकसभा चुनाव में अपने प्रचार-प्रसार के माध्यम से सफलता प्राप्त की। ऐसे नेता विधानसभा में अपना करिशमा दिखाते तो विधानसभा सीट भी निकाल सकते थे। परंतु पूर्व विधायक के अंधभक्तों ने विधानसभा की नाव ही डूबा दी।
वहीं कदावर नेता मुख्तार अहमद कांग्रेस पार्टी में कंधा-से-कंधा मिलाकर साथ दिए। जिसके उपरांत उनके प्रयास से कांग्रेस में बल आया जिससे ग्यारह में से एक सीट प्राप्त हुआ। लोगों में चर्चा है कि, हाई कमाण्ड ऐसे लोगों को कोई पद दिया होता तो सरगुजा संभाग में परचम लहरा सकते है। हाई कमाण्ड को चाहिए कि, ऐसे नेता को अपने गले से लगाए। क्योंकि नेता कम दलाल ज्यादा होते है।
मुख्तार अहमद के अंदर कोई लालच नाम की चींज नहीं है। इन्होनंे जब भी जिस पार्टी को साथ दिए तो दिल से दिए है। और अपने पाॅकिट से जो बनता है वह खर्चा भी करते है। नही ंतो आज-कल के जमाने में चंदा प्रसाद ज्यादा मिलेंगे। क्योंकि कांग्रेस के पांच साल सत्ता में रहने पर जिस चमचे पर खाने को नहीं था आज बिना कमाये दो मंजिल मकान बना लिए, चार चक्का के वाहनों में घुम रहे है, बहुत बड़े-बड़े व्यापारी भी हो चुके है और दर्जनों के हिसाब से प्लाट भी खरीद ली। परंतु आज-कल ऐसे नेता मिलेंगे जो लूट-खसोट की राजनिति कर रहे है।