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बैकुण्ठपुर जनता द्वारा प्रशासन से पटवारी बालमिक मिश्रा को निलंबित करने की मांग…………..

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बैकुण्ठपुर मुख्यालय में पटवारी बालमिक मिश्रा के द्वारा जो उप पंजीयक को लिखित में जमीन खरीदी के संबंध में जानकारी दिया गया था। उसमें हर्र के लगभग दस पेड़ की जानकारी क्यों नहीं दिया गया ? और किस आधार पर अशोक विश्वकर्मा के द्वारा हरे-भरे हर्र के पेड़ों को काटा गया ? वहीं सभी पेड़ों की जड़ों को किसके आदेश से जे.सी.बी. के मालिक देवा यादव द्वारा निकलवाया गया ? क्या जे.सी.बी. मालिक ने राजस्व विभाग से परमिशन लिया था ?

नियमानुसार हरे-भरे पेड़ों को काटने के एवज में प्रशासन को जमीन, जे.सी.बी. मशीन और जिस धारदार हत्यार से काटा गया व मिल को भी राजसाथ करना चाहिए। वहीं पटवारी द्वारा सच्चाई छुपाने पर उनता ही दोषी माने जा सकते है। पटवारी बालमिक मिश्रा व उनके सुपुत्र के द्वारा जमीने अनाप-सनाफ खरीदी गयी है। जानकार सूत्र बताते है कि, मनसुख के पास पोटेडांड में अपने ही भतीजे के नाम 7 एकड जमीन खरीदा है उस जमीन में लगा पैसा बालमिक मिश्रा का था। लोगों के द्वारा बताया जाता है कि, उस जमीन की कीमत लगभग 20 लाख रूपये हो सकती है। जबकि पटवारी का भतीजा बैकुण्ठपुर कभी नहीं रहा है। बताया जाता है कि, इनके परिवार वालों का कहना है कि, मोऊगंज के पास एक गांव है तथा उनके पिता का नाम त्रिवेणी प्रसाद मिश्रा है। इस जमीन को लेकर परिवारिक विवाद भी फंस गया है।

लोगों के द्वारा बताया जाता है कि, इनके पास लगभग 5-7 एकड जमीन भी है जो पोटेडांड के पास बताया जा रहा है। इनके परिवार वालो का कहना है कि, बालमिक मिश्रा गांव वाली पैतृक जमीन को मांग रहा है एवं हमें पोटेडांड वाली जमीन को देना चाहता है। लोगों में चर्चा है कि, बालमिक मिश्रा के पास जमीन के कई प्लाट और भी है। क्योंकि इन्होंने अपने जीवन में जो भी दस्तखत किये है वह बिना पैसे के नहीं किये है। जानकार सूत्र बताते है कि, इनके पास नगदी करोड़ो में है। इनका पुत्र भी जमीनों की खरीदी व बिक्री कार्य में लिप्त रहता है। क्योंकि बैकुण्ठपुर में ऐसा कौन सा अधिकारी है जिसको बालमिक मिश्रा का संरक्षण प्राप्त है ? ऐसा क्या खिला-पिला दिया है जो इनका मुरिद हो गया है।

जानकार सूत्र बताते है कि, उपभोक्ता न्यायालय के पास जिसमें लक्ष्मण सिंह व अन्य रहने वालों के नाम से वन विभाग के जमीन को एक रावट के नाम कैसे चढ़ा। इससे पहले भी तो पटवारी रहे होगें। जो वन विभाग की जमीन को उनके नाम कैसे चढ़ाया गया। पूर्व का नक्शा व खसरा देखा जाए तो जानकार सूत्र बताते है कि, वन विभाग के नाम चढ़ा हुआ था। तो वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को नोटिस किस आधार पर दिया गया जो कि सैकड़ों साल पूरानी जमीन को राजस्व विभाग को इस जमाने में इसी पटवारी को कैसे याद आया ? क्योंकि पैसे के बल पर सब कुछ हो सकता है। जब बैकुण्ठपुर हल्का पटवारी बालमिक मिश्रा को निलंबित नहीं किया जायेगा तब तक विवाद की स्थिति निर्मित रहेगी। बैकुण्ठपुर की जनता बार-बार प्रशासन से निवेदन करती है कि, बालमिकी मिश्रा को हटाना अत्यंत लाजमी है। ये है बैकुण्ठपुर जनता की मांग।

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