*_भाजपा के ही कार्यकर्ताओं से दूरी बनाना कैलाश जाटव को पड़ा भारी_*
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*अरवो के विकास कराए फिर भी मुह की खाए*
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*2013 में 22000 मतों से जीते और 2018 में 13000 वोटों से हारे*
*कैसी है कैलाश जाटव की लोकप्रियता🤭*
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*••••••••••35 हजार वोटों का फासला💝*
*एक अनुमान के अनुसार विधायक रह चुके डॉ कैलाश जाटव का भाजपा के ही कार्यकर्ता से दूरी बनाए रखना उनकी हार का एक बड़ा कारण बन गया*
*विरोधाभास बढ़ता गया फिर भी पार्टी ने कैलाश जाटव को टिकट दे दी प्रदेश प्रभारी फडके को भी टिकिट देने से पहले अवगत कराया था कि कैलाश को टिकट मिलती है तो भाजपा का गोटेगांव से जीतना मुश्किल होगा,*
*√√आखिर हकीकत सामने आ गई*
*तीन-तीन स्टार आए फिर भी नहीं जीत पाए*
_गोटेगांव विधानसभा में जीत का मंत्र फूंकने आए मध्य प्रदेश के मुखिया *शिवराज सिंह चौहान* *उमा भारती* *केंद्रीय मंत्री स्म्रति ईरानी* मतदाताओं को मोहित करने आए लेकिन फिर भी बडी हार का बड़ा मुंह देखना पड़ा_
*पार्टी के युवाओं का भी नहीं था समर्थन*
*परिणाम के फलस्वरूप चर्चाओं का विषय यह है कि*
*साल भर जनसुनवाई करके लोगो की समस्या हल करने वाले चर्चित चेहरे क्षेत्रीय विधानसभा के चुनाव में सक्रिय नही रहे जिसका परिणाम सामने है कि कैलाश जाटव चुनाव हार चुके है ,*
*गोटेगांव विधानसभा छोटी विधानसभा होते हुए भी कई दिग्गज नेताओं की जन्म स्थली है*
*बात की जाए तो पूर्व कोयला मंत्री राज्य मंत्री सांसद विधायक पूर्व जिला अध्यक्ष पूर्व न.पा. अध्यक्ष जनपद पंचायत अध्यक्ष या पूर्व विधायक उपाध्यक्ष या पार्षद सरपंच या अन्य किसी पदाधिकारी या नेताओ ने कैलाश जाटव का समर्थन नहीं किया*
*क्षेत्रीय भाजपा से दूरी बनाना कैलाश को पड़ा महंगा*
_सालो तक जिन नेताओ कार्यकर्ताओ ने आम जनता के बीच रहकर सुखदुख में साथ_ _दिया वो सब विधानसभा चुनावी राजनीति से दूर नजर आए_
*_ये वो चेहरे है जिन्होंने भाजपा को मजबूत करने में हमेसा मेहनत की_*
*_पर ये सब कार्यकर्ता मौजूदा गोटेगांव विधायक की कार्यप्रणाली के चलते चुनावी मैदान से दूर रहे हैं_*
*अपनी क्षेत्रीय विधानसभा छोड़कर अन्य विधानसभा क्षेत्र में चुनाव प्रचार करने के लिए अग्रसर रहें*
*_अगर हम गौर करे तो दिखायी देता है कि युवा नेता मोनू पटेल की सतत रूप से चलने वाली जनसुनवाई ने गोटेगांव विधानसभा में लोगो के बीच भाजपा को बहुत मजबूत किया_*
*गोटेगांव विधानसभा में युवा नेता मोनू पटेल की जनसुनवाई प्रत्येक समस्याओं का अंतिम निवारण थी जिस की लोकप्रियता चर्चाएं आज भी सुर्खियों में है*
_किन्तु इस चुनाव में जनसुनवाई के महत्वपूर्ण सक्रिय कार्यकर्ता चुनावी राजनीति से अभी तक दूरी बनाए हुए थे_
*इन महत्वपूर्ण बातों से स्पष्ट है कि क्षेत्रीय पार्टी के कार्यकर्ता और समर्थकों का सहयोग होता तो कैलाश जाटव जीत सकते थे*
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