मुलताई। महाष्टमी पर्व में गायत्री परिवार के द्वारा गायत्री शक्तिपीठ में जहां लगातार दुर्गा उत्सव में पांच कुंडीय गायत्री महायज्ञ लोक कल्याण की भावना से प्रतिदिन किया जा रहा है आज महा अष्टमी पर्व के दिन गायत्री परिवार की सैकड़ों बहनों ने आरती के थाल घर से सजाकर लाकर मां दुर्गा के अष्ट रूपों की महाआरती संपन्ना की। बुधवार यज्ञ गुरुकुल संस्कारशाला गायत्री शक्तिपीठ मुलताई की पूर्व छात्रा प्रज्ञा देशमुख एवं इंदिरा साहू के द्वारा संपन्ना कराया गया।
गायत्री परिवार ने बताते हुए कहा मां गायत्री की आरती इसलिए की जाती है क्योंकि मां गायत्री के एक हाथ में वेद एवं दूसरा हाथ में कमंडल है वेद ज्ञान का प्रतीक है हमें अधिक से अधिक ज्ञान अर्जन कर कमंडल जैसी पात्रता विकसित कर ज्ञान के आलोक को जन-जन तक पहुंचाने की आवश्यकता है तो भोलेनाथ की आरती करते करने का उद्देश्य ,बताते हुए कहा कि लोक कल्याण की भावना के साथ जिस प्रकार समुद्र मंथन के समय भोलेनाथ ने विषपान किया था उसी प्रकार हमें अपने व्यक्तित्व से बुराइयों का त्याग कर अच्छाइयों को ग्रहण करना चाहिए मां ताप्ती की आरती करने के पीछे हमारा उद्देश्य होना चाहिए जिस प्रकार मां ताप्ती जन जन के ताप का हरण करती है उसी प्रकार हमें भी लोक कल्याण की भावना के साथ लोगों के कष्टों को दूर करने के लिए हमेशा अग्रणी भूमिका निभाना चाहिए
मां दुर्गा की आरती के पीछे का उद्देश्य जिस प्रकार मां दुर्गा ने असुरों का नाश किया और दुर्गा शक्ति कहलाए उसी प्रकार हमें भी समाज में फैली बुराइयों को दूर करने के लिए समाज में हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए भूमिका निभाने की आवश्यकता है