स्कूल बना व्यापार
भारत देश में शिक्षा के नाम हो रहा व्यापार, आज कल के लोग अपना रोजी रोटी चलाने के लिए हर जगह स्कूल खोल कर बैठे हैं, जिस प्रकार लोग पान का ठेला चला रहे हैं ठीक उसी प्रकार जगह जगह स्कूल भी खोला जा रहा लेकिन भारत सरकार ध्यान नहीं दे रही, और यही वजह है की सरकारी स्कूलों मे लोग अपने बच्चों का दाखीला नहीं कराते हैं, इसमें सबसे ज्यादा लापरवाही जिला शिक्षा अधिकारी का होता है, जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा ऐसे-ऐसेे लोगों को मान्यता दिया जा रहा है की जिसके पास न तो खेलने का मैदान है न बच्चों के लिए शौचालय है न पंखा है और रूम भी ऐसे होते है जिसमें अंधेरा होता ऐसे में बच्चे क्या पढ़ेंगे, और शिक्षा विस्तार अधिकारी फर्जी बिल बनाए पड़े हैं, फर्जी बिल बना के पैसा निकाल रहे हैं प्राइवेट स्कूलों वाले शिक्षा विस्तार अधिकारी को हर महीना पैसा देते हैं, और जब परीक्षा का समय आता है तब बच्चों को पैसा लेके नकल कराते हैं और जो बच्चे पैसे नहीं देते उन्हे नकल नहीं करने देते ऐसे में वे बच्चे क्या पढेंगे, और सरकारी स्कूलों की स्थिती कहीं-कहीं ऐसी हो गई है की स्कूल जर्जर पड़े हैं, और जहाँ शिक्षक हैं वहाँ बच्चे नहीं और जहाँ बच्चे हैं वहाँ शिक्षक नहीं और कहीं-कहीं के स्कूलों में तो शिक्षकों की संख्या अधिक होती है ऐसे में बच्चों का भविष्य खराब हो सकता है शासन ध्यान दे।