बिलासपुर। रेलवे में 39 साल सेवा देने वाले वाहन चालक जीपी प्रसाद गुरुवार को सेवानिवृत्त हुए। उन्हें सेवाकाल के अंतिम दिन जो तोहफा मिला, शायद वह आखिरी दम तक नहीं भूलेंगे। जिस अधिकारी की वह सरकारी गाड़ी चलाते थे। उन्हीं अफसर ने स्टेयरिंग संभाली और जीपी प्रसाद को अपनी सीट पर बैठाकर घर तक छोड़कर आए। यह सम्मान पाकर चालक से लेकर उनके स्वजनों की आंखें भर आईं। कार्यालयीन अधिकारी व कर्मचारियों ने भी तालियों की गड़गड़ाहट के बीच परिसर से उन्हें विदाई दी।
तोरवा निवासी जीपी प्रसाद बिलासपुर रेल मंडल के परिचालन विभाग में पदस्थ रहे। 32 सालों से वे सीनियर डीओएम (वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक) की गाड़ी चला रहे थे। इस दौरान उन्होंने 11 सीनियर डीओएम को सेवाएं दी। वर्तमान सीनियर डीओएम रविश कुमार 12वें अधिकारी हैं। गुरुवार को जीपी प्रसाद की सेवा समाप्त होने की जानकारी तो हर किसी को थी। सीनियर डीओएम भी यह जानते थे। सुबह से कार्यालय में परंपरागत तरीके से विदाई समारोह की तैयारी चल रही थी। पर सीनियर डीओएम ने कहा कि शाम को वे उन्हें विदाई देंगे। इस समय तक किसी को नहीं मालूम था कि उन्होंने यह तोहफा देने की सोची है। शाम चार बजे चालक के साथ बाहर निकले। सभी को लगा कि वह बाहर तक छोड़ने आए हैं। पर उन्होंने गाड़ी की चाबी मांगी और चालक को गाड़ी का दरवाजा खोलकर उसी तरह सम्मान से बैठाया, जैसा जीपी प्रसाद उनके लिए रोज करते थे। चालक के प्रति यह सम्मान देखकर कार्यालयीन अधिकारी व कर्मचारी बेहद प्रभावित हुए। जीपी प्रसाद उनकी सीट पर बैठ गए। उसके बाद सीनियर डीओएम चालक की सीट पर बैठे और गाड़ी चालू कर उन्हें घर छोड़ने के लिए रवाना हो गए।
गाड़ी फूलों से सजाई गई थी। स्वजनों को जीपी प्रसाद के आने का इंतजार था। पर चालक की सीट पर अधिकारी को देखकर वह भी हैरान रह गए। जैसे ही जीपी प्रसाद गाड़ी से उतरे स्वजनों की आंखें भर आईं। वे कहने लगे कि उनके सेवाकाल की यही सबसे बड़ी पूंजी है। व्यवहार के साथ उन्होंने सम्मान भी कमाया है। जीपी प्रसाद का कहना है कि साहब ने जो सम्मान दिया है वह कभी नहीं भूल पाएंगे। उनके पिताजी भी रेलवे के कार्मिक विभाग में कार्यालय अधीक्षक थे। वहीं जीपी प्रसाद वर्ष 1982 में भर्ती के बाद कुछ साल मनेंद्रगढ़ में पदस्थ रहे। उसके बाद उनकी पोस्टिंग बिलासपुर कर दी गई। तब से लेकर वे यहां सेवाएं दे रहे थे।