लॉकडाउन के बीच 26 अप्रैल को समाप्त हफ्ते में बेरोजगारी दर में कमी आई है. इस हफ्ते में बेरोजगारी दर 21.1 फीसदी रही, जो इसके पिछले हफ्ते के 26.2 फीसदी से काफी कम है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी की नवीनतम रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है. हालांकि, चिंता की बात यह है कि लॉकडाउन के दौरान 7 करोड़ से ज्यादा लोगों ने कामकाज छोड़ दिया है.
यह लॉकडाउन के दौरान की सबसे कम बेरोजगारी दर है. हालांकि, अब भी बेरोजगारी की दर बहुत ज्यादा है. गौरतलब है कि इसके पहले की सीएमआईई की एक रिपोर्ट के अनुसार, मार्च में बेरोजगारी दर पिछले 43 महीने के सबसे ऊंचे स्तर 8.7 फीसदी तक पहुंच गई थी.
हालांकि 26 अप्रैल को खत्म हफ्ते में चिंताजनक बात यह है कि श्रम भागीदारी दर में और गिरावट आई है. रिपोर्ट के अनुसार पूरे लॉकडाउन पीरियड में बेरोजगारी दर 21 से 26 फीसदी रही, लेकिन इस दौरान श्रम भागीदारी दर में हर हफ्ते गिरावट आई है. 22 मार्च के लॉकडाउन से पहले वाले हफ्ते में श्रम भागीदारी गिरकर 42.6 फीसदी तक पहुंच गई थी, लेकिन 26 अप्रैल को खत्म हफ्ते में यह और गिरते हुए महज 35.4 फीसदी रह गई. इसका मतलब यह है कि कार्यशील जनसंख्या के करीब 7.2 फीसदी लोगों ने कामकाज छोड़ दिया.
रिपोर्ट के अनुसार, देश में करीब एक अरब की कार्यशील जनसंख्या मानी जाती है. इसका मतलब यह हुआ कि लॉकडाउन के दौरान 7.2 करोड़ से ज्यादा लोगों ने कामकाज छोड़ दिया.
कार्यशील जनसंख्या महज 35.4 करोड़ है, जिसमें से 21.1 फीसदी बेरोजगार हैं. यानी नौकरी की तलाश करने वाले बेरोजगार लोगों की संख्या करीब 7.6 करोड़ रही. बेरोजगार उसे माना जाता है जो काम करना चाहता हो, लेकिन रोजगार न मिल रहा हो.
रिपोर्ट के अनुसार लॉकडाउन में कुछ नरमी से रोजगार के मामले में फायदा होता है. 26 अप्रैल के हफ्ते में रोजगार में सुधार से यह साफ है. रोजगार दर 19 अप्रैल के हफ्ते में 26.1 फीसदी थी, जबकि 26 अप्रैल के हफ्ते में यह बढ़कर 27.9 फीसदी तक पहुंच गई . ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार दर 19 अप्रैल के 27 फीसदी के मुकाबले 26 अप्रैल के हफ्ते में 29.4 फीसदी तक पहुंच गई .
सीएमआईई के अनुसार, मार्च के पहले सप्ताह में देश में रोजगार की हालत काफी खराब होनी शुरू हुई और महीने के अंत में स्थिति काफी बिगड़ गई. सीएमआईई एक निजी थिंक टैंक है. के आंकड़ों के मुताबिक अप्रैल, 2020 के पहले सप्ताह में भी रोजगार की हालत काफी दयनीय रही.