रायपुर।भारत की संस्कृति में पर्वों और उत्सव का बड़ा महत्व है। सामूहिक पूजन और मेले की संस्कृति वाले इस देश में इस बार नवरात्र पर पहली बार मंदिरों के प्रांगण सूने हैं, लेकिन नियमित पूजा पाठ के साथ यहां से पवित्र हवन की खुश्बू उठ रही है। मंदिरों की जगह लोग घरों पर मां शक्ति की आराधना कर रहे हैं। कोरोना संक्रमण ने भले ही सब कुछ रोक दिया है, लेकिन लोगों के दिलों में बह रही आस्था की निर्बाध धारा कहां स्र्कने वाली है।
अंतर्राष्ट्रीय महामारी को देखते हुए पूरी दुनिया में इन दिनों अलर्ट है। हमारे देश में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज से संपूर्ण लॉक डाउन की घोषणा की है। लोगों के घरों से बाहर निकलने पर पाबंदी है। देश के इतिहास में पहली बार ट्रेनों के पहिए स्र्के हैं। बाजार बंद हैं और मंदिरों में भी लोगों को फिलहाल जाने की इजाजत नहीं है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि देश के लोग एक बेहद खतरनाक बीमारी से सुरक्षित रहें।
इसी दौरान आज से आस्था का पर्व नवरात्र शुरू हुआ है। कोरोना वायरस के संक्रमण के नियंत्रण के लिए पुलिस व प्रशासन सख्त हो गया है। नवरात्र के पहले दिन श्रद्धालुओं से मंदिर न आने की अपील की गई है। प्रशासन की अपील के बाद लोगों ने घरों में रह कर ही पूजा-अर्चना की। मंदिरों में मनोकामना ज्योति कलश प्रज्ज्वलित किए गए हैं।
मंदिरों के बाहर तख्तियां लगी हैं, जिनमें मंदिर के मुख्य पुजारी की ओर से फिलहाल मंदिर न आने की अपील की गई है। इसके साथ ही कोरोनावायरस से सुरक्षित रहने के लिए लोगों को संदेश दिए गए हैं। रायपुर स्थित महामाया मंदिर में ज्योती कलश प्रज्वलित हुए हैं। मंदिरों में देवी का विशेष श्रृंगार भी हुआ। बिलासपुर जिले के रतनपुर स्थित मां महामाया मंदिर में मुख्य पुजारी पं.अरुण शर्मा और उनके तीन सहयोगी ही प्रवेश करेंगे। इसी तरह अन्य जिलों के मंदिरों में केंद्र व राज्य शासन द्वारा जारी निर्देशों का पालन करने की बात कही गई है।
नवरात्र के साथ ही उगादी, गुड़ी पाड़वा, चेट्रीचंड्र पर्व और नववर्ष सादगी से मनेगा। हमेशा इन पर्व में विभिन्न् समाज की ओर से शोभायात्रा निकाली जाती थी। साथ ही मंदिरों में भी धूमधाम से विभिन्न् अनुष्ठान होते थे, लेकिन इस बार सिर्फ घरों में ही पारंपरिक रूप से विभिन्न् अनुष्ठान होंगे।