हिजबुल आतंकियों के साथ गिरफ्तार किए गए पुलिस उपाधीक्षक देविंदर सिंह मामले की जांच के बीच एनआईए के महानिदेशक वाईसी मोदी ने बुधवार (15 जनवरी) को गृह सचिव अजय कुमार भल्ला से मुलाकात की है। माना जा रहा है कि उन्होंने पूरे मामले में जांच की प्रगति को लेकर गृहसचिव को जानकारी दी है।
अधिकारियों का कहना है कि देविंदर सिंह मामले में सरकार का रुख बेहद सख्त है। एनआईए को सभी पहलुओं की विस्तार से जांच करने को कहा गया है जिससे गिरफ्तार डीएसपी के कारनामों का कच्चा चिठ्ठा खोला जा सके। अभी एनआईए इस मामले पर कुछ भी कहने से बच रही है।
सूत्रों ने कहा कि आतंकियों से सांठगांठ के इस हाईप्रोफाइल मामले में कई एजेंसियों का सहयोग लिया जा सकता है। जरूरत के मुताबिक अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियां भी मामले से जुड़े तथ्यों की छानबीन करेंगी। खासतौर पर अगर हवाला से जुड़े मामलों की पुष्टि होती है तो इसमें अलग से भी प्राथमिकी दर्ज करके मामले की जांच को विस्तृत बनाया जा सकता है। सूत्रों ने कहा कि देविंदर जिन जगहों पर तैनात रहा वहां उसके कनेक्शन, उसकी अलग-अलग जगहों पर संपत्ति, उसके संबधों को खंगालने का प्रयास हो रहा है।
हवाला से पैसा भेजने के मामले में सीमा पार उसके संपर्क को लेकर भी एजेंसियां जानकारी एकत्र कर रही हैं। एनआईए के आईजी स्तर के अधिकारी व पुलिस और खुफिया एजेंसियों से जुड़े अधिकारी तथ्यों की छानबीन में लगे हैं। सूत्रों ने कहा कि देविंदर ने जांच एजेंसियों को भ्रमित करने वाले बयान दिए हैं। सच उगलवाने के लिए सवालों की सूची तैयार करके पूछताछ की जा रही है।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) जल्द ही जम्मू कश्मीर के निलंबित पुलिस उपाधीक्षक दविंदर सिंह का मामला अपने हाथ में लेगी। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी। सिंह को पिछले हफ्ते दक्षिण कश्मीर में दो आतंकवादियों के साथ पकड़ा गया था। अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी द्वारा मामले को हाथ में लिए जाने के पहले जम्मू और राष्ट्रीय राजधानी में जरूरी औपचारिकताएं पूरी की जा रही हैं। जम्मू कश्मीर में पत्थरबाजों और अलगाववादियों के बीच सांठगांठ को तोड़ने का श्रेय एनआईए को दिया जाता है।
सिंह और तीन अन्य से शुरुआती पूछताछ के दौरान केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में तैनात एनआईए के कुछ सदस्य मौजूद थे। तीन अन्य लोगों में प्रतिबंधित संगठन हिजबुल मुजाहिदीन का स्वयंभू जिला कमांडर नावेद, उसका सहयोगी आतिफ अहमद और वकील इरफान अहमद मीर शामिल थे।
अधिकारियों ने जम्मू में कहा कि जांच एजेंसी द्वारा मामला दर्ज किए जाने के बाद सभी रिकॉर्ड एनआईए को सौंप दिए जाएंगे। अधिकारियों ने बताया कि माना जाता है कि उन्होंने दोनों आतंकवादियों को चंडीगढ़ ले जाने और कुछ महीने तक उनके रहने की व्यवस्था के लिए 12 लाख रुपये लिए थे।