सनातन धर्म में मकर संक्रांति का त्योहार बड़े त्योहारों मे से एक माना जाता है। लोग घरों में इस दिन कई तरह के पकवान बनाते हैं, जिसमें एक पकवान खिचड़ी भी शामिल होता है। मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी बनाने और खाने की एक खास महत्व बताया गया है। यही वजह है कि इस पर्व को कई जगहों पर खिचड़ी पर्व भी कहा जाता है।
मकर संक्रांति के दिन सूर्य उत्तरायण होकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं। इस दिन भगवान सूर्य को खिचड़ी का भोग लगाया जाता है और गुड़ तिल से बनी चीजें जैसे तिल के लड्डू, गजक, रेवड़ी को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है। आइए जानते हैं आखिर क्यों मकर संक्रांति का त्योहार खिचड़ी के बिना अधूरा माना जाता है और कैसे खिचड़ी का आपके ग्रहों के साथ है गहरा कनेक्शन।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति की खिचड़ी चावल, काली दाल, नमक, हल्दी, मटर और सब्जियां खासतौर पर फूलगोभी डालकर बनाई जाती है।
मकर संक्रांति की खिचड़ी बनाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले सफेद चावलों को चंद्रमा का प्रतीक माना जाता है। जबकि इसमें डाली जाने वाली काली दाल को शनि का। खिचड़ी में जलने वाली हरी सब्जियां बुध से संबंध रखती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार खिचड़ी की गर्मी व्यक्ति को मंगल और सूर्य से जोड़ती है। जिसकी वजह से इस दिन यदि कोई व्यक्ति खिचड़ी का सेवन करता है तो उसकी राशि में ग्रहों की स्थिती मजबूत बनती है