राजनांदगांव। रविवार की सुबह शहर के स्टेशन पारा वार्ड में जो कुछ हुआ, उसने एक बार फिर इंसानियत ने ममता को शर्मशार कर दिया। उस नवजात को इस दुनिया में आए चंद घंटे ही हुए थे और वह नाली में पेट के बल पड़ा था। रुक-रुक कर अपने कराह भरे रुदन से वह लोगों को बुला रहा था। लोग पहुंचे भी और बाहर निकाला। अस्पताल ले गए, लेकिन फूल से भी ज्यादा नाजुक उस मासूम की सांसों ने ज्यादा देर साथ नहीं दिया और वह हमेशा-हमेशा के लिए चला गया, लेकिन जाते-जाते वह उस महिला के सामने कई सवाल छोड़ गया, जिसे मां कहना ‘मां” जैसे पवित्र रिश्ते का अपमान करना होगा। उसके रुदन से निकल रहे भावों को यदि पाती की शक्ल दे दें तो उसका मजमून कुछ इस तरह ही होगा। मां, तू इतनी निर्दयी होगी, सोचा न था। नौ माह कोख में पूरे जतन के साथ रखा। अपना खून मेरी रगों में बहाती रही। अपनी सांसों से मेरे छोटे से दिल को धड़काती रही। जो खाती, जो पीती, मुझे जरूर बांटती। लेकिन ऐसा क्या हो गया, जो इस दुनिया में आते ही मुझे खुद से अलग कर दिया। क्या एक बार भी नहीं सोचा कि इस अनजान दुनिया में मेरा क्या होगा? यहां का अंधेरा मुझे लील न ले। मेरे लिए तो यहां सब नए होंगे। एक तू ही थी, जो मुझे नौ माह से जान रही थी। समझ रही थी।
आखिर मैंने ऐसा क्या कसूर कर दिया था? क्या एक बार भी तेरी ममता ने तुझे रोका नहीं? चलो, अगर मैं यह मान भी लूं कि अपवित्र रिश्ते के चलते तेरी कोख में आया था। मुझे दुनिया से छिपाना तेरी मजबूरी थी। तेरा सम्मान दांव पर लग गया था। मेरे आने की खुशी पर तेरा लोकलाज भारी पड़ रहा था। तो किसी ऐसे स्थान पर छोड़ दिया होता, जहां मैं किसी ‘इंसान” के हाथ लग जाता। तुझसे दूर ही सही, कम से कम इस दुनिया में तो रहता, लेकिन तूने ऐसा नहीं किया। गंदी नाली में फेंकते समय क्या तेरे हाथ एक बार भी नहीं कांपे। तेरे गर्भ की गंदगी से निकलते समय सोचा था कि अब जहां जा रहा हूं, वह दुनिया बहुत साफसुथरी होगी। लेकिन यह क्या। तूने फिर से मुझे गंदगी में भी फेंक दिया। तू इतनी निर्दयी कैसे हो गई? इतनी ठंड में गंदे पानी से भरे नाली में फेंकते समय तुझे यह नहीं लगा कि मेरा शरीर अकड़ जाएगा। सांसें घुट जाएंगी। ठीक है मां। तूने तो फैसला ले ही लिया था मुझे फेंकने का, लेकिन मैं जाते-जाते तुझ जैसी और मांओं से यह आह्वान जरूर करूंगा कि मरने के लिए नहीं, जिंदा रहने के लिए खुद से अलग करो। किसी ऐसी जगह छोड़ो, जहां किसी नेक के हाथ लग जाऊं। यह दुनिया भी देखने की बड़ी इच्छा थी, लेकिन ऐसा हो न सका। इस मामले में पुलिस अपराध दर्ज कर पतासाजी में जुट गई है।