छत्तीसगढ़ समेत देश के नक्सल प्रभावित 10 राज्यों में मोबाइल नेटवर्क का जाल बिछाया जा रहा है। बीते पांच वर्षों में इन राज्यों में कुल 2343 टॉवर खड़े किए गए हैं। इनमें 525 अकेले छत्तीसगढ़ में स्थापित किए गए हैं। यहां के लिए कुल 532 टॉवर केंद्र सरकार ने स्वीकृत किए थे, लेकिन सुरक्षाकारणों से सात टावर नहीं लगाए जा सकें हैं। वहीं झारखंड में सबसे ज्यादा 816 टावर लगाए गए हैं। गृह विभाग के अफसरों ने बताया कि केंद्र सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सूचनातंत्र को मजबूत करने के लिए 2014 में मोबाइल टावर लगाने का फैसला किया था। इसके तहत दो बार में कुल 2355 टॉवर स्वीकृत किए गए। इसमें से मार्च 2017 में 2199 और नवंबर 2018 तक 156 टावर स्थापित कर चालू कर दिए गए हैं। अफसरों के अनुसार करीब 39 हजार वर्ग किलोमीटर से अधिक क्षेत्र में फैले बस्तर में करीब 841 टॉवर लगाए गए हैं। इनमें से 644 बीएसएनएल के हैं। निजी कंपनियों के करीब 197 टॉवर हैं। इनमें से अधिकांश वहां के शहरी क्षेत्रों में हैं। इसके बावजूद बस्तर अब भी पूरी तरह मोबाइल नेटवर्क में नहीं आ पाया है। नक्सली खतरे की वजह से अंदस्र्नी क्षेत्र में टावर नहीं लग पा रहे हैं। गृह विभाग के एक वरिष्ठ अफसर ने कहा कि मोबाइल नेटवर्क के विस्तार से निश्चित स्र्प से नक्सलियों को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी। अभी नेटवर्क नहीं होने के कारण सूचनाओं के अादान- प्रदान में काफी दिक्कत होती है।
नक्सली करते हैं मोबाइल नेटवर्क और फोन का विरोध
नक्सली मोबाइल फोन और नेटवर्क को अपने लिए खतरा मानते हैं। यही वजह है कि पूर्ववर्ती सरकार में जब मोबाइल बांटा गया तो नक्सलियों ने पहले मोबाइल न लेने का फरमान जारी किया। मोबाइल छीनने और मोबाइल रखने वालों को प्रताड़ित करने की भी कई घटनाएं हुईं।