भोपाल। Madhya Pradesh News साल 2019 में मध्य प्रदेश के हर दूसरे आदमी ने रिश्वत देकर अपना काम कराया है। एक साल में प्रदेश में भ्रष्टाचार के मामलों में 10 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पिछले दिनों आई ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंडिया और संस्था लोकल सर्किल द्वारा किए सर्वे की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है। संस्था के आंकड़ों के मुताबिक सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार स्थानीय निकायों में है। रिश्वत देने वाले मामलों में 38 फीसदी लोगों ने नगरीय निकाय में, 37 फीसदी लोगों ने जमीन से जुड़े मामलों में, जबकि 25 फीसदी लोगों ने परिवहन, बिजली कंपनी, टैक्स कार्यालय में रिश्वत देकर काम कराया है। वहीं, 22 फीसदी लोगों ने बताया कि उन्होंने कई बार रिश्वत देकर ही काम कराया है। जबकि, 33 फीसदी लोगों का कहना था कि उन्होंने एक या दो बार रिश्वत देकर काम कराया है। सिर्फ 12 फीसदी लोगों ने कहा कि उनका काम बिना रिश्वत दिए हुआ है। सर्वे के दौरान 33 फीसदी लोगों ने इस मामले में कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया। संस्था ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल ने रिश्वत का स्तर जानने के लिए देशव्यापी स्तर पर यह सर्वे किया।
इसके लिए देशभर में करीब 40 हजार लोगों को सर्वे में शामिल किया गया। इसमें से करीब 2200 लोग मध्यप्रदेश के थे। उन्हीं के जवाब के आधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है। सर्वे में 16 फीसदी लोगों ने बताया कि कंप्यूटराइज्ड कार्यालय में जहां सीसीटीवी कैमरे भी लगे थे, वहां रिश्वत देना पड़ी। 28 फीसदी लोगों ने कहा कि जहां रिश्वत दी वो कंप्यूटराइज्ड कार्यालय तो था, लेकिन वहां सीसीटीवी कैमरे नहीं लगे थे। 19 फीसदी लोगों ने कहा कि बिना कंप्यूटर और सीसीटीवी लगे कार्यालय में उन्होंने रिश्वत दी। जबकि, 37 फीसदी लोगों ने कहा कि उन्होंने रिश्वत नहीं दी। इसी तरह 35 फीसदी लोगों ने संस्था को बताया कि उन्होंने काम कराने के एवज में सीधे नकद रिश्वत दी है। जबकि, 30 फीसदी ने कहा कि उन्होंने एजेंट के जरिए रिश्वत दी। वहीं, छह फीसदी ने गिफ्ट के तौर पर रिश्वत दी है। 29 फीसदी ने कहा कि उन्होंने बिना रिश्वत दिए ही काम करा लिया। संस्था के मुताबिक भ्रष्टाचार के मामलों में उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, तेलंगाना, कर्नाटक, झारखंड और पंजाब सबसे आगे रहे। जबकि दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, पश्चिम बंगाल, केरल, गोवा और ओडिशा सबसे कम भ्रष्टाचार वाले राज्य रहे।