छत्तीसगढ़ शासन द्वारा किसानों के धान बेचने पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है. शासन के विस्द्ध विरोधाभाष हो रहा है। किसान अपने धान को बेचकर अपने परिवार के पालन-पोषण के लिए बाजारों से सामान खरीद फरोकत करता है। शासन के कर्मचारियों द्वारा जगह-जगह नाका लगाकर धान पकड़ने का अभियान चलाया जा रहा है वह विरोधाभाष है। किसान अपना धान कहीं भी बेंच सकते हैं। इसपर राज्य शासन को प्रतिबंध नहीं लगाना चाहिये। किसानों को अपने परिश्रम से पैदा किये गये धान को बेचने का पूरा अधिकार मिलना चाहिये। किसान और व्यापारी का संबंध व्यापार से जुड़ा हुआ है। जो धान सोसाइटियों में जाना है वो तो जाएगा ही। इस वक्त धान की ऊपज ज्यादा होने के कारण सम्मितियां इतना धान नहीं खरीद सकतीं। बल्कि छत्तीसगढ़ शासन को बाहर से आने वाले धान पर प्रतिबंध लगाना चाहिए। धान ऊपज पर छत्तीसगढ़ शासन को किसानों के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिये। इसपर छत्तीसगढ़ शासन को ध्यान देना चाहिये। छत्तीसगढ़ शासन की इस तरीके की प्रकिया से भ्रष्टाचार का जन्म होेता है। इसपर कर्मचारी गण नाका लगाकर धान आने वाले से पैसा लेकर धान को अवैध रूप से बेचने के लिए मजबूर कर देते हैं।