Home मध्यप्रदेश 16 हजार से ज्यादा व्यापारियों के पंजीयन निरस्त…

16 हजार से ज्यादा व्यापारियों के पंजीयन निरस्त…

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इंदौर। GST Registration जीएसटी में पंजीकृत 16 हजार से ज्यादा व्यापारियों के पंजीयन निरस्त करने की तैयारी शुरू हो चुकी है। वाणिज्यिक कर विभाग ने 16095 कारोबारियों के विरुद्ध कार्रवाई के निर्देश मध्य प्रदेश के उपायुक्तों को जारी कर दिए हैं। कार्रवाई के लिए 10 दिसंबर तक की समयसीमा भी तय कर दी है। ये संख्या सिर्फ राज्य कर के अंतर्गत पंजीकृत कारोबारियों की है। सेंट्रल जीएसटी के अंतर्गत पंजीकृत ऐसे कारोबारियों की संख्या भी शामिल की जाए तो आंकड़ा 45 हजार 720 तक पहुंच रहा है। मध्य प्रदेश के वाणिज्यिक कर संचालक एनएस मरावी ने मध्य प्रदेश के सभी संभागीय उपायुक्तों के लिए आदेश जारी कर रिटर्न जमा नहीं करने वाले कारोबारियों की सूची भेजी है। उपायुक्तों को निर्देश दिया गया है कि सूची में शामिल व्यवसायियों में से अपने क्षेत्राधिकार के अंतर्गत आने वाले व्यवसायियों के रिकॉर्ड की जांच करें। ऐसे सभी व्यवसायी जिन्होंने छह महीने या उससे अधिक समय से जीएसटी रिटर्न दाखिल नहीं किया है, उनके पंजीयन निरस्त करने और कर निर्धारण की कार्रवाई करें।

10 दिसंबर तक कार्रवाई पूरी कर ली जाए। कमर्शियल टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष एके गौर के अनुसार सूची में 16 हजार में से कम से कम ढाई हजार व्यापारी इंदौर क्षेत्र से होंगे। माना जा रहा है कि रिटर्न दाखिल नहीं करने वाले व्यवसायियों की सूची में से ज्यादातर कारोबारी कस्बों या ग्रामीण क्षेत्रों के हैं। असल में जीएसटी पोर्टल की परेशानी हो या अन्य कारण हों, ऐसे व्यवसायी जिन्होंने छह महीने से रिटर्न दाखिल नहीं किया, वे कार्रवाई के दायरे में आएंगे। ऐसे व्यवसायियों के कारण विभाग का रिटर्न कंप्लाएंस के मामले में रिकॉर्ड बिगड़ता है। इसमें कई कारोबारी ऐसे हैं जिनका जीएसटी रिटर्न निल यानी शून्य टैक्स वाला है। दरअसल शून्य टैक्स वाले कई व्यापारियों ने तकनीकी परेशानी या अन्य कारण से एक बार रिटर्न दाखिल नहीं किया तो बाद में इन पर पेनल्टी लगती है। पेनल्टी की राशि देख ये आगे भी रिटर्न दाखिल नहीं करते। इनके अलावा अन्य व्यवसायी भी, जिन्होंने रिटर्न दाखिल नहीं किए हैं उनका पंजीयन निरस्त होने के बाद भी विभाग उन पर कर देयता निर्धारित करेगा। विभाग की मांग के अनुसार नियमानुसार उन्हें कर जमा करना होगा। ऐसे में बेहतर है कि व्यवसायी पहले खुद ही टैक्स पेनल्टी के साथ रिटर्न दाखिल कर दें। बाद में खुद आवेदन देकर अपना पंजीयन निरस्त करवाएं।

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