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धान खरीद के मुद्दे पर कांग्रेस ने भाजपा सांसदों के खिलाफ खोल दिया है मोर्चा…

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रायपुर। छत्तीसगढ़ में धान को लेकर सियासी घमासान तेज होता नजर आ रहा है। धान खरीद के मुद्दे पर कांग्रेस ने भाजपा सांसदों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पार्टी शुक्रवार से प्रदेश के भाजपा सांसदों के निवास और कार्यालय का घेराव करके ढोल-नगाड़ा बजाएगी। भाजपा के हर सासंद के खिलाफ अलग-अलग तिथियों में तीन से चार बार कांग्रेस का यह प्रदर्शन होगा। इस पर भाजपा ने पलटवार करते हुए नसीहत दी है कि कांग्रेस, सरकार जनता की आंखों में धूल झोंकने के बजाय चुपचाप किसानों का धान खरीदे नहीं तो राजनीतिक रोटी सेकने के चक्कर में अपना हाथ जला बैठेगी। सरकार बहानेबाजी छोड़कर धान खरीदी प्रारंभ करे अन्यथा हम दिखाएंगे कि किसानों को धोखा देने पर कैसे आंदोलन किया जाता है। कांग्रेस ने पूर्व निर्धारित आंदोलन की नीति बदल दी है, पहले मुख्यमंत्री ने किसानों के साथ दिल्ली कूच करने और वहां रना देने का निर्णय लिया गया था।

अब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम ने भाजपा सांसदों के खिलाफ प्रदर्शन का फैसला लिया है। पार्टी के प्रदेश महामंत्री गिरिश देवांगन ने जिला व शहर कमेटियों को जिम्मदारी दी है कि वे ब्लॉक कमेटियों का अलग-अलग समूह बनाकर अलग-अलग तिथियों पर घेराव-प्रदर्शन करें, क्योंकि किसी लोकसभा क्षेत्र में दो तो किसी में तीन या चार जिले आते हैं। देवांगन ने कहा कि कांग्रेस के सांसद और राज्यसभा सदस्यों ने दोनों सदनों में केंद्रीय पूल में छत्तीसगढ़ का चावल लेने की मांग की है, लेकिन भाजपा के छत्तीसगढ़ के सांसदों ने किसान विरोी चर्चा की है। उन्होंने 25 सौ स्र्पये में धान खरीदने का विरो किया है। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष विक्रम उसेंडी ने कहा कि जनता को छलने वाले कांग्रेस नेता अब गुमराह करने की राजनीति करने पर अमादा है, जो अवांछनीय कृत्य है। उसेंडी ने कहा कि गंगाजल उठाकर कसम खाने वाले और राहुल गांधी के सामने चुनावी घोषणा पत्र जारी करते हुए धान खरीदी के लिए राशि जुटाने के गुर बताने वाले तत्कालीन कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष भूपेश बघेल व कांग्रेस घोषणा पत्र समिति संयोजक टीएस सिंहदेव क्यों गलत बयानबाजी कर रहे हैं।

क्यों नहीं जनता के सामने आकर धान खरीदी प्रारंभ करवाते हैं? चुनावी घोषणा पत्र जारी करते समय कांग्रेस ने अपने दम से धान खरीदने की डींंगे मारी थी और अब छल प्रपंच पर उतर आए हैं। केंद्र सरकार ने उन राज्यों का चावल केंद्रीय पूल में लेने से मना कर दिया है, जो समर्थन मूल्य के साथ किसानों को धान पर बोनस देंगे। यह मुद्दा छत्तीसगढ़ की सड़कों से लेकर दिल्ली के दोनों सदन तक में गूंज चुका है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के चार पत्रों के बाद भी प्रानमंत्री या केंद्र सरकार की तरफ से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला है।

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