भिलाई। धरती के भगवान और रक्षक ही यदि भक्षक हो जाएं तो आम आदमी कहां जाएं? एक डॉक्टर और दो पुलिसकर्मियों ने ड्यूटी के दौरान अस्पताल में ऐसी ही दरिंदगी 2014 में की थी। पांच साल की सुनवाई के बाद न्यायालय ने तीनों को आजीवन कारावास और अर्थदंड से दंडित किया है। भिलाई के बहुचर्चित गैंगरैप मामले में न्यायालय ने दोषी डॉक्टर और दो पुलिस कर्मियों को सजा सुनाई है। इस पूरे मामले का दुखद पहलू यह है कि व्यथित पीड़िता ने घटना के कुछ महीनों बाद अपने घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। गौरतलब है कि भिलाई के सुपेला शास्त्री अस्पताल में हुए गैंगरैप के मामले में छावनी पुलिस ने हाउसिंग बोर्ड इ डब्ल्यू एस औद्योगिक क्षेत्र जामुल निवासी आरोपित आरक्षक सौरभ भक्ता (33), आरक्षक चंद्रप्रकाश पांडे (33) और हुडको मार्केट निवासी डॉ.गौतम पंडित के खिलाफ अपराध दर्ज किया था। मामले की सुनवाई पंचम अपर सत्र न्यायाधीश शुभ्रा पचौरी की अदालत में हुई।
न्यायालय ने सुनवाई के बाद प्रकरण में दोषी पाए जाने पर तीनों आरोपितों को मौत होने तक (आजीवन कारावास) और अर्थदंड की सजा सुनाई है। घटना 19-20 जून 2014 की दरम्यानी रात भिलाई स्थित शासकीय सुपेला अस्पताल में हुई थी। पीलिया पीड़ित 19 वर्षीय पीड़िता उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती थी। घटना की रात सुपेला अस्पताल में पदस्थ आरोपित डॉक्टर पीड़िता को इंजेक्शन लगाने गया। इंजेक्शन लगाने के बाद पीड़िता बेहोश हो गई। बेहोशी की हालत में पीड़िता के साथ आरोपित डॉ. गौतम और आरक्षक सौरभ भक्ता तथा चंद्रप्रकाश पांडेय ने दुष्कर्म किया। घटना की रात तीनों आरोपितों की ड्यूटी अस्पताल में थी। इस तरह ड्यूटी में रहते हुए धरती के भगवान और रक्षक जैसी जिम्मेदारी को कलंकित किया। आरोपितों ने पीड़िता की अश्लील वीडियो भी बनाई। इस अश्लील वीडियो क्लीप को नेट में डाल देने की धमकी देकर उसे धमकाया और अपराधिक अभित्रास कारित किया। दोनों आरक्षकों की अस्पताल में ड्यूटी सुरक्षा गार्ड के रूप में लगाई गई थी। वहीं आरोपित डॉक्टर गौतम पंडित शासकीय लाल बहादुर शास्त्री अस्पताल सुपेला में चिकित्सक के रूप में पदस्थ थे।