Raipur. Organic Farming वायु, ध्वनि प्रदूषण के बाद अब भूमि प्रदूषण बड़ी समस्या बनकर उभर रहा है। किसान अधिक उत्पादन के लालच में खेतों में अत्यधिक रसायनों, पेस्टीसाइड्स का इस्तेमाल कर रहे हैं। इससे भूमि प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार अत्यधिक रसायन(Chemical use in Farming) से भूमि बंजर भी हो जा रही है। खासकर जैविक खेती करने वाले किसानों के लिए रसायनमुक्त उत्पादन करना बड़ी चुनौती है। इसे देखते हुए रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय(Indira Gandhi Agricultural University Raipur) ने जैविक खेती को नुकसान पहुंचाने वाले शत्रु कीटों को मारने के लिए मित्र कीटों(Organic friend insects) को पालना (संवर्धन) शुरू कर दिया है। ये मित्र कीट रसायनों का विकल्प बन रहे हैं। लिहाजा किसान कृषि विवि से मामूली खर्च पर इन की़टों को खरीदकर अपने खेतों में छोड़ रहे हैं। ये कीट धान, तिलहन, दलहन, सब्जी-भाजी आदि के पौधों को खाने या नष्ट करने वाले कीटों को खाते हैं या नष्ट करते हैं। इससे किसानों को कीटनाशक का इस्तेमाल बिल्कुल भी नहीं करना पड़ रहा है। किसानों ने बताया कि जैविक खेती में प्रयोग के तौर पर रासायनिक खाद या कीटनाशक डालने के बजाय इन कीटों का इस्तेमाल किया गया है। ऐसे में उनकी भूमि से पौष्टिक तत्वों का क्षरण तो रुक रहा है, हानिकारक शत्रु कीट भी फसल को नुकसान नहीं पहुंचा पा रहे हैं।
फार्मूला : कृषि विवि के जैविक कीट विज्ञान विभाग की प्रमुख अन्वेषक डॉ. जयालक्ष्मी गांगुली के नेतृत्व में शत्रु कीटों को नष्ट करने के लिए मित्र कीटों का संवर्धन किया जा रहा है। उनका कहना है कि इससे पर्यावरण को भी फायदा हो रहा है। पीएचडी शोधार्थी सचिन कुमार जायसवाल इसमें सहयोग कर रहे हैं। विवि में बायोकंट्रोल एजेंट्स उत्पादन एवं प्रशिक्षण केंद्र की मदद से अन्वेषक गांगुली ने खेतों से इन मित्र कीटों को लैब में लाया। उनके अनुकूल लैब को निर्मित किया गया ताकि कीटों का संवर्धन किया जा सके। प्रयोग सफल होने के बाद इन कीटों का कामर्शियल इस्तेमाल शुरू कर दिया गया है। अभी तक किसान गाजर घास, खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए खरपतवारनाशी दवाइयों का छिड़काव और हानिकारक कीटों पर नियंत्रण के लिए कीटनाशक का इस्तेमाल करते रहे हैं।
मैक्सिकन बिटल जैविक मित्र कीट गाजरघास के शिशु, वयस्क दोनों पौधों को खाकर नष्ट करता है। राजनांदगांव के किसान विजय कटरे ने इसका सफल प्रयोग किया है, ट्राइकोग्रामा परजीवी अंड परजीवी का अंड परजीवी जैविक कीट पौधों के हानिकारक कीटों के अंडावस्था को नष्ट करता है। इससे धान में लगने वाले हानिकारक कीटों को नियंत्रित किया जा रहा है। 50 रुपये में 10 हजार परजीवी अंड किसानों को मिलता है। एक एकड़ में सिर्फ 200 रुपये खर्च करना पड़ता है, ब्रेकान इल्ली परजीवी है, यह इल्ली पर अपना अंडा छोड़ जाता है। इससे हानिकारक कीट मर जाते हैं। यह धान, सब्जी की खेती के लिए फायदेमंद साबित हो रहा है। इसका इस्तेमाल राजधानी से लगे सोनपैरी गांव के किसान नयन टॉक कर रहे हैं, रेड्यूबिड बग हानिकारक इल्लियों को खाता है। यह धान, तंबाकू, सब्जी आदि के कीटों का नियंत्रण करता है, बस्तर का चपोड़ा बस्तर में पाए जाने वाले लाल चींटी को चपोड़ा कहा जाता है । यह कीट रस चूसने वाले शत्रु कीटों मिलीबग, एपिड, जैसिड को नष्ट करता है। यह सामान्यतः बस्तर में आम, अमरूद, गुड़हल में पाया जाता है।