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पंचायतों में शासकीय पैसों का बंदरबांट….

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जिला कोरिया. विकास खण्ड सोनहत में 32 पंचायतें आती हैं। पंचायतों में सचिव को 15000 के लगभग वेतन मिलता है। सरपंच और सचिव मिलकर योजनाओं के पैसों को फर्जी बिल लगाकर निकाल लेते हैं। सचिव अपने पिता के नाम से दुकान का फर्जी बिल लगाकर, व भाई एवं बीवी के नाम से मजदूरी के नाम पर पैसा निकाल लेते हैं। एक ही व्यक्ति दो-दो, तीन-तीन पंचायतों को चला रहा है।

पत्रकार द्वारा सचिव से पूछा गया तो सचिव ने पत्रकार से कहा कि मैं तुमको आदिवासी व हरिजन एक्ट में फंसवा दूंगा। आज उस सचिव का बैकुण्ठपुर मुख्यालय में 1 करोड़ का मकान है एवं रायपुर में भी एक फ्लैट है एवं 4 से 5 हाईवा भी चल रहे हैं। सोचने वाली बात यह है कि जिसका शासकीय वेतन 15000 रूपया हो वो चार चक्के के स्वयं के वाहन में कैसे यात्रा करते हैं। ये अपना रंग ऐसे बदलते हैं कि जिसकी सत्ता आती है उन्ही सत्ताधारियों की फोटो को अपने निवास में लगा लेते हैं। सचिवों को सत्ता से कोई मतलब नहीं रहता, बल्कि शासन के पैसों को ही फर्जी बिल लगा-लगा कर निकाल लिया करते हैं। सी.ओ को सिर्फ अपने कमीशन से ही मतलब है। इसके संबंध में संपादक द्वारा कलेक्टर को बार-बार शिकायत किया गया है फिर भी आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई।

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