बुरहानपुर। Gaushala School गरीब आदिवासी बच्चों को उनके घर के आसपास ही शिक्षा के सारे संसाधन मुहैया कराने के सरकारी दावे जिला मुख्यालय से महज 15 किमी दूर जाकर ही दम तोड़ देते हैं। ग्राम पंचायत बलड़ी के वनग्राम गोलखेड़ा फाल्या में सरकार ने वर्ष 2002 में ईजीएस प्राइमरी स्कूल (Government Primary School) तो शुरू किया, लेकिन भवन, फर्नीचर, पेयजल के इंतजाम समेत अन्य संसाधन मुहैया कराना भूल गई। लिहाजा आदिवासी परिवारों के दो दर्जन से ज्यादा बच्चे घासफूस से बनी गौशाला की झोपड़ी (School in Cow Shade) में बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं।
यह गौशाला भी एक ग्रामीण की है, जहां दिन में बच्चों को पढ़ाया जाता है तो शाम को यहां पर ग्रामीण अपने गाय-बैल बांध देता है। झोपड़ी में स्कूल लगने के कारण ही दो दर्जन बच्चों में से बमुश्किल चार-पांच ही स्कूल आते हैं। हद तो यह है कि इतने सालों में न तो शिक्षा विभाग ने सुध ली और न ही जनप्रतिनिधियों ने भवन के लिए प्रयास किए। गांव में अब तक स्कूल भवन नहीं बन पाने का जब सरपंच दयाबाई के पति रमजान तड़वी और स्कूल के पास रहने वाले ग्रामीण रमेला इदु से कारण पूछा गया तो उन्होंने बताया कि मासूमों के भविष्य की राह में वन विभाग ही रोड़ा बना हुआ है। इसके लिए कई बार प्रयास किए गए, लेकि न वन विभाग के अफसरों ने इस पर रोक लगा दी, जबकि 50 परिवारों वाले इस गांव के अधिकांश लोगों को प्रधानमंत्री और इंदिरा आवास योजना का लाभ मिलने पर पक्के मकान बन चुके हैं। सोमवार को यहां पर दर्ज संख्या 26 में से सिर्फ तीन बच्चे ही मौजूद मिले।
पूछने पर पता चला कि स्कूल में कोई नियमित शिक्षक भी पदस्थ नहीं है। पूर्व में यहां चार अध्यापक थे, लेकि न शिक्षक भर्ती घोटाले में उनके बर्खास्त हो जाने के बाद से कोई शिक्षक पदस्थ नहीं कि या गया। फिलहाल भूषण पाटिल समेत दो अतिथि शिक्षक स्कू ल को संभाल रहे हैं। उन्होंने बताया कि करीब एक साल से विभाग द्वारा यहां मध्यान्ह भोजन भी बंद कर दिया गया है। बच्चों के स्कू ल नहीं आने का यह भी एक कारण है। इसके अलावा बच्चों को अब तक गणवेश का वितरण भी नहीं कि या गया है। स्कूल के पास खुद का भवन नहीं होने के कारण बारिश के दिनों में करीब दो से ढाई माह यहां छुट्टी जैसे हालात रहते हैं। क्योंकि जिस झोपड़े में बच्चे बैठ रहे हैं वहां पानी टपकने के साथ ही आसपास का पानी भी जमा हो जाता है।
सरपंच प्रतिनिधि रमजान तड़वी का कहना है कि कई बार विभागीय अफसरों और नेताओं से स्कूल भवन के लिए आग्रह किया, लेकिन सर्वे के बावजूद भवन नहीं बनाया गया। बताया गया था कि इसमें वन विभाग वाले अड़ंगा लगा रहे हैं। स्कूल भवन नहीं होने से बच्चों की पढ़ाई चौपट हो रही है। मामला संज्ञान में आया है। एक-दो दिन में मैं स्कूल का दौरा कर स्थिति देखूंगा और सर्वशिक्षा अभियान के अधिकारियों से भी जानकारी ली जाएगी कि यहां अब तक स्कूल भवन क्यों नहीं बन पाया। जल्द ही इस समस्या का कोई न कोई हल निकाल लिया जाएगा। भवन बनवाने के पूरे प्रयास करेंगे। यदि स्कूल के लिए ज्यादा जगह की जरूरत नहीं है और ग्रामसभा वा शिक्षा विभाग की ओर से प्रस्ताव आता है तो हम इस पर विचार कर सकते हैं। मेरी जानकारी में अभी ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं आया है.