ओंकारेश्वर (खंडवा)। Omkareshwar Jyotirlinga परंपरा के अनुसार ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान प्रतीकात्मक रूप से 15 दिन के लिए मालवा भ्रमण के बाद लौट आए हैं। मंगलवार को भैरव अष्टमी के दिन उनके लौटने के साथ ही शयन आरती और चौपड़ भी बिछने लगी है। कार्तिक सुदी अष्टमी (चार नवंबर) को ओंकारेश्वर भगवान भ्रमण पर गए थे। मंदिर के सहायक कार्यपालन अधिकारी अशोक महाजन, आशीष दीक्षित ने बताया कि मंदिर ट्रस्ट द्वारा भगवान के लौटने पर मूल स्वरूप का श्रृंगार किया गया। साथ ही आचार्य पंडित राजराजेश्वर दीक्षित के सान्निध्य में पंडितों द्वारा धार्मिक आयोजन किए गए। इसके साथ ही मंगलवार रात 9.30 बजे से शयन आरती की गई, वहीं मंदिर में चौपड़-पासे व झूला भी सजने लगे हैं।
भैरव अष्टमी पर विशेष आरती कर भोलेनाथ को छप्पन भोग लगाया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में भक्तों ने भगवान ओंकारेश्वर की दर्शन किए और आशीर्वाद लिया। मालूम हो कि पूर्व में भोलेनाथ कार्तिक माह में 15 दिन मालवा क्षेत्र के इंदौर, महू, धार, झाबुआ के अलावा निमाड़ क्षेत्र के खंडवा, खरगोन, बड़वानी सहित अन्य गांवों में भ्रमण करते थे। उस समय संसाधन के अभाव में अधिकांश लोग भोलनाथ के दर्शन करने ओंकारेश्वर नहीं पहुंच पाते थे। इस कारण पालकी में भोलेनाथ की मूर्ति को विराजित कर मालवा व निमाड़ क्षेत्र के गांवों में ले जाया जाता था। इसका मुख्य उद्देश्य ओंकारेश्वर नहीं पहुंचने वाले भक्तों को भोलेनाथ को दर्शन कराने का था। अब पालकी तो नहीं जाती लेकिन अनादिकाल से चली आ रही परंपरा को अभी भी निभाया जा रहा है।