दंतेवाड़ा के तत्कालीन दिवंगत विधायक भीमा मंडावी हत्याकांड में छत्तीसगढ़ सरकार को करारा लगा झटका। राज्य सरकार की याचिका हाईकोर्ट के डीविजन बेंच ने खारिज कर दी है। बुधवार को चीफ जस्टिस पीआर रामचन्द्र मेनन व जस्टिस पीपी साहू के डीविजन बेंच ने फैसला सुनाया। अब भीमा मंडावी की मौत के मामले की जांच एनआए ही करेगी। राज्य सरकार ने एनआए को जांच से रोकने लगाई याचिका दी थी। इससे पहले सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। बुधवार को कोर्ट ने फैसला सुनाया है। नक्सली हमले में मारे गए दंतेवाड़ा विधायक भीमा मंडावी की हत्या की जांच एनआईए ही करेगी। इस मामले में शासन की अपील को चीफ जस्टिस पीआर रामचंद्र मेनन और जस्टिस पीपी साहू के युगलपीठ ने खारिज कर दिया है।
इससे पहले जस्टिस आरसीएस सामंत की एकलपीठ ने राज्य शासन व राज्य पुलिस को हत्याकांड से संबंधित दस्तावेज एनआईए को सौंपने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ राज्य शासन ने डीविजन बेंच में रिट याचिका दायर की थी। अपील में कहा गया था कि राज्य पुलिस को ही इस मामले की जांच करने दी जाए। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। 13 नवंबर को कोर्ट ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस दौरान एनआईए के वकील किशोर भादुड़ी ने बताया कि सुनवाई के दौरान राज्य शासन की तरफ से महाधिवक्ता सतीशचंद्र वर्मा ने विरोध किया था। उनका कहना था कि जांच काफी भीतर तक पहले ही राज्य की पुलिस कर चुकी है, ऐसे में यह मामला राज्य के पास ही रहना चाहिए। इस पर कोर्ट ने पूछा कि तो क्या आप अपराधी का नाम बता सकते हैं। महाधिवक्ता ने जवाब दिया कि अपराधी का नाम अब तक पता नहीं चला है।
तब कोर्ट की तरफ से कहा गया कि ऐसे आप यह कैसे कह सकते हैं कि जांच काफी भीतर तक हुई। दोनों ही पक्षों की दलील सुनकर फैसला सुरक्षित रख लिया गया था । भीमा मंडावी ने 2018 विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की टिकट पर चुनाव जीता था। दंतेवाड़ा की विधानसभा सीट से वह विधायक बने। बस्तर संभाग से भाजपा को जिताने वाले अकेले विधायक थे। वर्ष 2019 लोकसभा चुनावों की तैयारी के दौरान 9 अप्रैल को दंतेवाड़ा के नकुलनार के पास आईईडी ब्लास्ट में भीमा मंडावी और उनके ड्रायवर समेत तीन सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई थी। हाल ही में इस सीट पर हुए उपचुनावों में कांग्रेस को जीत मिली। भीमा की पत्नी ओजस्वी को भाजपा ने चुनावी मैदान में उतारा था।