जिला कोरिया. बैकुण्ठपुर के मार्गदर्शन विद्यालय में कथित लोगों के रिपोर्ट के अनुसार 100-150 लोगों के द्वारा माड़-धाड़ का मामला प्रकाश में आया है। विद्यालय में घुसकर लोगों के साथ मार-पीट किया गया। पत्रकारिता के नाम पर एवं खुदको समाज सेवी व्यक्ति बताकर व बच्चों के बहाने अवैध वसूली को लेकर मार-पीट किया गया। जानकारी मिली है कि घटना के दौरान कई लोगों को चोटें आयी हैं। पत्रकारिता के बहाने गुंडागर्दी करके बच्चों को अवैध वसूली का निशाना बनाया गया है। जब विद्यालय प्रबंधक ने अपनी फीस को लेकर मांग रखा तो उसे अवैध वसूली का प्रमाण दिया गया।
अवैध वसूली में बच्चों के अविभावक व बच्चों के द्वारा शिकायत किया जाना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं किया गया। एक गुट बनाकर किसी विद्यालय पर घावी होना अपराध की श्रेणी में आता है। जिनके द्वारा रिपोर्ट लिखाई गयी है उनके परिवार का कोई व्यक्ति उस विद्यालय में पढ़ता होता तो इस बात में कहीं सत्यता होती। विद्यालय के प्रबंधक ने बताया कि विद्यालय में घुसकर फर्नीचर व कई चीजों की तोड़.फोड़ की गई। इसके उपरांत विद्यालय के प्रिंसिपल एवं प्रबंधक के ऊपर केस रजिस्टर्ड किया गया। कार्यालय में जो भी तोड़-फोड़ की गई उसपर पर अभी तक कोई कार्यवाही नहीं की गई है। समाज ऐसे मीडीया वालों के नाम पर कलंकित हो रहा है। मीडिया में अपराधी किस्म के लोग जिनपर पत्रकारिता से पहले ही दर्जनों मामले दर्ज हैं। ऐसे लोगों के द्वारा मीडीया को व्यापार बनाकर करोड़ों रूपये अर्जित किये जा रहे हैं। लोग वेबसाइट बना-बनाकर अपना व्यापार सुचारू रूप से चला रहे हैं। शासन इसपर काबू ना कर पायी तो अपराधी किस्म के लोग पत्रकारिता में अवैध धंधे चलाते रहेंगे। अब देखना यह है कि इस मामले को पुलिस कहां तक काबू कर पायेगी.
भारत सरकार के नियम की धज्जिया उड़ाई जा रही हैं। जिसको रोकने में भारत सरकार नाकाम हैं। पत्रकारिता में ऐसे भी लोग हैं जो पेपर मालिकों को ठगने में कमी नहीं करते। उनका एक ही मात्र काम है, वेबसाइट बनाकर शासकीय कर्मचारियों को डरा-धमकाकर उनसे पैसा निकालना एवं अपने परिवार को नौकरी में लगाना। इनके लिए यह सब आम बात हो चुकी है। भारतीय प्रेस एक्ट के अंतर्गत यदि किसी के परिवार में कोई व्यक्ति शासकीय सर्विस पर हो तो उनको पत्रकारिता करने का कोई अधिकार नहीं है। जानकार सूत्रों के मुताबिक अधिकारियों पर दबाव बनाकर फर्जी ढंग से अपने परिवार की नियुक्तियां भी की गई हैं। और पत्रकारिता का धौंस जमाकर शासन का समुचित लाभ उठा रहे हैं। यहां तक कि गुट बनाकर प्रशासन पर हावी होने का बखान भी करते हैं।