नई दिल्ली। महाराष्ट्र में नई सरकार के गठन को लेकर सोमवार को एनसीपी प्रमुख शरद पवार के दो बयानों से सस्पेंस और गहरा गया। इसके बाद फिर से यह कयास लगने लगे हैं कि राज्य सरकार बनेगी भी या नहीं। दूसरी तरफ कांग्रेस को राज्य में टूट का डर सता रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार राज्य में पार्टी के विधायकों में से 41 जहां सरकार में शामिल होने के पक्ष में हैं वहीं तीन शिवसेना के साथ जाने के खिलाफ नजर आ रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस के सामने असमंजस की स्थिति है।
खबर है कि इसी पर बात करने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल, मल्लिकार्जुन खड़गे और एके एंटनी, कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलने के लिए पहुंचे हैं। फिलहाल इन लोगों के बीच बैठक जारी है और कहा जा रहा है कि इसमें सरकार गठन को लेकर ही बात हो रही है। इससे पहले सोमवार को संसद के सत्र के पहले दिन रास की कार्यवाही व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात के लिए यहां आए पवार ने सुबह कहा-राज्य में सरकार कैसे बनेगी, यह सवाल तो भाजपा-शिवसेन से पूछिए चुनाव में उन्हें जनादेश मिला है।” इसके बाद शाम 5 बजे सोनिया से मुलाकात के बाद कहा, “कांग्रेस अध्यक्ष से महाराष्ट्र में सरकार बनाने पर कोई चर्चा नहीं हुई। सोनिया गांधी को राज्य की राजनीतिक स्थिति बताई। सरकार गठन के बारे में दोनों दल आगे बातचीत करेंगे।” भाजपा-शिवसेना गठबंधन सरकार नहीं बनने के बाद राकांपा व उसकी सहयोगी उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना से संभावित गठबंधन के लिए चर्चारत है। इसी सिलसिले में पिछले कुछ दिनों से तीनों दलों के नेताओं से मेल-मिलाल का सिलसिला जारी है।
सोमवार शाम पवार 10 जनपथ सोनिया गांधी के आवास पर उनसे मुलाकात के लिए पहुंचे। इसके बाद पत्रकारों से चर्चा में उन्होंने महाराष्ट्र में तीनों दलों की साझा सरकार के मुद्दे पर साफ कुछ नहीं कहा। जबकि कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया “राकांपा प्रमुख ने कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात की और उन्हें महाराष्ट्र की स्थिति से अवगत कराया। यह तय हुआ कि एक-दो दिन में राकांपा व कांग्रेस के नेता दिल्ली में मिलेंगे और आगे की राह तय करेंगे।” पवार-सोनिया मुलाकात करीब 50 मिनट चली। संसद का शीत सत्र शुरू होने से पहले पवार से पत्रकारों ने महाराष्ट्र में सरकार बनाए जाने को लेकर सवाल दागे तो उन्होंने कहा, “बीजेपी और शिवसेना से पूछो, दोनों साथ थे। शिवसेना और बीजेपी एक साथ लड़ी थीं और राकांपा व कांग्रेस साथ मिलकर लड़ी थीं। वे अपना रास्ता चुने, हम हमारी राजनीति करेंगे। जब उनसे यह पूछा गया कि चर्चा तो यह है कि राकांपा शिवसेना के साथ मिलकर सरकार बना रही है तो उन्होंने इसके जवाब में सिर्फ “अच्छा” कहकर टाल दिया।