भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के सार्वजनिक स्थानों जैसे रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और हाईडेंट से भरे जाने वाले टैंकरों व हैंडपंप के माध्यम से उपयोग किए जाने वाला पानी सीवेज से भी ज्यादा गंदा है। मार्च और मई 2018 में जनता की लैब द्वारा सैंपल की जांच में यह तथ्य सामने आ चुका है। लेकिन संबंधित एजेंसियों ने इस पर सुधार करना तो दूर नोटिस का जवाब तक देना उचित नहीं समझा, जो चिंताजनक है। पर्यावरणविद् डॉ. सुभाष सी पांडेय द्वारा जनता की लैब में जांच के दौरान सुल्तानिया जनाना अस्पताल, भोपाल रेलवे स्टेशन और शाहपुरा हाईडेंट से भरे जाने वाले टैंकरों का पानी 2400 गुना से ज्यादा प्रदूषित पाया था। शहर के रेलवे स्टेशनों, सरकारी अस्पतालों, सरकारी कॉलेजों, पानी के टैंकरों और हैंडपंप समेत ठेलों पर बिकने वाली बर्फ के 42 सैंपल लिए गए थे। जांच रिपोर्ट में बताया गया था कि सार्वजनिक स्थानों पर उपयोग किए जा रहे पानी में कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी पैदा करने वाले हैवी मैटल हैं।
रिपोर्ट के बाद डॉ. पांडेय ने नगर निगम, रेलवे और स्वास्थ्य विभाग को नोटिस भेजकर प्रदूषित पानी पर चिंता जताई थी। उन्होंने इस पर तत्काल उचित कदम उठाने की मांग की थी, लेकिन किसी एजेंसी की ओर से जवाब नहीं आया। बड़े तालाब के किनारे बैरागढ़ के राजेंद्र नगर, कोहेफिजा और प्रेमपुरा घाट के आसपास निजी बोरिंग के सैंपल लिए गए थे, जिसमें पानी 70 से 190 गुना दूषित मिला था। यहां टोटल कोलिफार्म (पानी में मलमूत्र का होना) का स्तर 70 से लेकर 190 प्रति 100 मिली लीटर पाया गया था। जबकि, इसकी मात्रा जीरो होनी चाहिए। सुल्तानिया अस्पताल के बोर और निगम के पानी की सप्लाई है। बोर के पानी में टीडीएस का स्तर 510 से मिली ग्राम प्रति लीटर दर्ज हुआ है। जबकि, टोटल कॉलीफार्म 150 मिला।
वहीं टैंक के पानी में कॉलीफार्म 1100 पाया गया। हमीदिया अस्पताल के में यहां टोटल कॉलीफार्म महज 23 और टीडीएस भी 386 मिली ग्राम प्रति लीटर मिला है। जेपी अस्पताल यहां बोर के पानी में हेवी मेटल 1.4 मिली ग्राम प्रति लीटर मिला है। जबकि यह 0.3 से अधिक नहीं होना चाहिए। एमवीएम यहां की टंकी के पानी में टीडीएस 772 मिली ग्राम प्रति लीटर मिला है। जबकि कॉलीफार्म 460 मिला। हलालपुर बस स्टैंड यहां हैंडपंप के पानी में कॉलीफार्म की मात्रा महज चार और टीडीएस 434 मिली ग्राम प्रति लीटर मिला है।