रायपुर। दूसरे धर्म में शादी के बाद अंजली जैन और इब्राहिम खान को परिवार के दबाव की वजह से अलग होना पड़ा था। शादी के डेढ़ साल बाद तक साथ रहने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे इस जोड़े और पिछले नौ माह से सखी सेंटर में रह रही अंजली को अब सखी सेंटर से रिहाई मिलने जा रही है। अंजली ने सोमवार को सखी सेंटर से रिहाई न होने पर भूख हड़ताल का एलान किया था, जिसके बाद उसे छोड़े जाने का समय अधिकारियों ने बताया है। बुधवार को अंजली को यहां से आजादी मिलने वाली है।
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में अंजली को खुद की मर्जी से अपने भविष्य का चुनाव करने की आजादी दी है। अपने पति का साथ पाने के लिए अपने पिता से संघर्ष कर रही अंजली अब खुद की मर्जी से अपनी जिंदगी जी सकेगी। शादी के बाद अपनी पत्नी से अलग कर दिए गए इब्राहिम ने पत्नी का साथ पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। इसके बाद हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए इस जोड़े के पक्ष में फैसला सुनाया था। इस फैसले से करीब 9 माह पूर्व से अंजली सखी वन स्टॉप सेंटर में कैदियों की तरह रह रही थी। सोमवार को आमरण अनशन के ऐलान के बीच प्रशासन ने अंजली को सखी वन स्टॉप सेंटर से रिहा करने का समय निर्धारित कर दिया। अधिकारियों के मुताबिक कोर्ट के आदेश के परिपालन में अंजलि को छोड़ने का समय 20 नवंबर को सुबह 11 निर्धारित किया गया है। इब्राहिम खान और अंजली जैन ने 25 फरवरी, 2018 को रायपुर में आर्य समाज मंदिर में शादी की थी।
जैसे ही अंजली के परिजनों को इस बात की जानकारी हुई, वे उसे अपने साथ घर ले आए। इसके बाद उसे कैद रखा और पति से मिलने नहीं दिया। पति ने बिलासपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर अपनी पत्नी की वापसी की गुहार लगाई थी, लेकिन हाईकोर्ट से कोई राहत नहीं मिली। इसके बाद इब्राहिम ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। इब्राहिम ने कोर्ट में लगाई याचिका में कहा है कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने मामले के कानूनी पहलुओं को नजरअंदाज कर अपना फैसला दिया है। इसी दलील के आधार छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी है। इस याचिका में कहा गया है कि लड़का और लड़की बालिग हैं, दोनों पढ़े-लिखे हैं और एक-दूसरे को चाहते हैं। ऐसे में किसी को कानूनन क्या आपत्ति हो सकती है।