रायपुर । समय पर मकान देने का वादा कर मकान नहीं देने वाले बिल्डर पर रेरा प्राधिकरण ने सख्त रवैया अपनाया है। रेरा ने अपने फैसले में स्पष्ट रूप से कहा है कि अब बिल्डर एक माह के भीतर उपभोक्ता को अधूरा पड़ा मकान बनाकर देगा। इसके साथ ही उसे ब्याज समेत तीन लाख 38 हजार 480 रुपये उपभोक्ता को लौटाने होंगे। रेरा प्राधिकरण से मिली जानकारी के अनुसार रेंगाखार, जिला कबीरधाम निवासी अनिता लिखारे ने शिकायत दर्ज कराई थी कि उसने 20 जून, 2012 को शांति विजय रेसीडेंसी में मकान खरीदा था। इसकी कीमत 24 लाख थी और यह 1700 वर्गफीट में बना था।
उपभोक्ता ने लागत राशि में से 23,20,000 रुपये का भुगतान भी कर दिया था। मकान के हुए इकरारनामा के अनुसार बिल्डर को दस माह के भीतर मकान बनाकर देना था यानी 20 अप्रैल, 2013 तक मकान बन जाना था, लेकिन बीच में ही मकान का निर्माण रोक दिया गया। शांति विजय एंड डेवलपर्स बिल्डर द्वारा उसे कहा गया कि वह अपना निर्माण कार्य ओमप्रकाश साहू से करा ले। इस पर भी अनिता लिखारे तैयार हो गईं, लेकिन उसने देखा कि दूसरे बिल्डर से निर्माण कराने पर निर्धारित कीमत से पांच लाख रुपये ज्यादा लगने के साथ ही समय भी अधिक लगेगा। उपभोक्ता ने इसकी शिकायत रेरा प्राधिकरण में की। रेरा प्राधिकरण द्वारा इसकी जांच की गई। जांच में यह बात सामने आई कि निर्माण कार्य में छह साल चार माह का विलंब हो गया है।
इस पर रेरा अध्यक्ष विवेक ढांड, सदस्य राजीव कुमार टम्टा और नरेन्द्र कुमार असवाल ने बिल्डर के खिलाफ फैसला सुनाया। फैसले के अनुसार पहले बिल्डर द्वारा उपभोक्ता को ब्याज सहित तीन लाख 38 हजार 480 रुपये देना होगा। साथ ही एक महीने में अधुरा पड़ा मकान बनाना होगा। रेरा में अब 495 मामलों का निपटारा कर लिया गया है। बड़ी तेजी के साथ उपभोक्ता हितों का ध्यान रखते हुए रेरा द्वारा फैसले सुनाए जा रहे है। रेरा का गठन ही उपभोक्ताओं के हितों का ध्यान रखते हुए किया गया है। रेरा के नियमों के अनुसार बिल्डर को रेरा में पंजीयन कराना आवश्यक है। बिना रेरा में पंजीयन के अब बिल्डर को लोन भी उपलब्ध नहीं होगा।