Home राजनिति धान पर केंद्र और राज्य सरकार के बीच टकराव…

धान पर केंद्र और राज्य सरकार के बीच टकराव…

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रायपुर। धान पर केंद्र और राज्य सरकार के बीच टकराव कायम है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात का समय नहीं मिला, तो उन्होंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से समय मांगा। बुधवार को दिन में राष्ट्रपति भवन से मुलाकात का समय मिला, लेकिन देर रात को फोन आया कि राष्ट्रपति गुरुवार को नहीं मिल पाएंगे। मुख्मयंत्री ने छह मंत्रियों के साथ दिल्ली जाने की तैयारी कर ली थी, लेकिन अब दो मंत्रियों के साथ दिल्ली जाएंगे। केंद्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान और केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से धान के मुद्दे पर चर्चा करेंगे। राजीव भवन में बुधवार को मुख्यमंत्री बघेल ने पत्रकारवार्ता लेकर बताया कि गुरुवार शाम पांच बजे राष्ट्रपति से मुलाकात का समय मिला है।

उनके साथ मंत्री टीएस सिंहदेव, ताम्रध्वज साहू, मोहम्मद अकबर, शिव डहरिया, अमरजीत भगत और रविंद्र चौबे दिल्ली जाएंगे। रात करीब 9.30 बजे राष्ट्रपति भवन से मुलाकात रद की जाने की सूचना आई। इसके बाद मुख्यमंत्री ने केवल खाद्य मंत्री भगत और कृषि मंत्री चौबे के साथ दिल्ली जाने का फैसला लिया। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से भी मुलाकात समय मांगा था, पीएमओ से जवाब आया कि प्रधानमंत्री देश से बाहर हैं। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री पर निशाना सधते हुए कहा है कि उन्होंने छत्तीसगढ़ के किसानों और अनाज का अपमान किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मुलाकात के बाद आंदोलन पर निर्णय होगा। कांग्रेस 11 नवंबर को जिला मुख्यालयों पर धरना और 13 नवंबर को किसानों के साथ दिल्ली कूच करने वाली थी।

अयोध्या फैसले पर आंदोलन स्थगित किया था। भारतीय जनता पार्टी धान खरीदी को लेकर पूरे प्रदेश में 15 नवंबर को मंडल स्तर पर प्रदर्शन करेगी। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विक्रम उसेंडी ने कहा कि प्रदेश की कांग्रेस सरकार लगातार किसान विरोधी नीति अपनाकर धान नहीं खरीद रही है। इसका हम पुरजोर विरोध करेंगे। प्रदेश में जब हमारी सरकार थी, तो हर साल 15 नवंबर से ही धान खरीदी की जाती रही है, लेकिन जब से प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आई है, अपने वादों के मुताबिक किसानों की मांगों को पूरा नहीं कर रही है। उसेंडी ने कहा कि वे राजनीतिक नौटंकी छोड़कर किसानों से किये वादे को अक्षरश: पालन करते हुए 2500 रुपये में पूरा-पूरा धान खरीदे। दिल्ली जाकर मांग करने की नौटंकी करने से पहले कांग्रेस को सोचना चाहिए कि आखिर क्या दिल्ली के भरोसे इन लोगों ने घोषणा की थी।

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