इंदौर। गुरु नानक देव के 550वें प्रकाश पर्व पर इंदौर शहर के पश्चिमी क्षेत्र में राज मोहल्ला स्थित खालसा कॉलेज परिसर में विशाल दीवान सजाया गया। इसमें करीब 70 हजार श्रद्धालुओं ने गुरुग्रंथ साहिब के समक्ष माथा टेका। गुरुवाणी सुनी और पूरे दिन लंगर छका। दिल्ली के बलजीतसिंह नामधारी ने शबद सुनाया- ‘प्रगट भई सगले जुग अंतर गुरु नानक की वड़याई’ अर्थात् चारों दिशाओं में गुरु नानक देव का प्रकाश फैल रहा है। लंगर में प्रसादी ग्रहण करने वालों को जूठन नहीं छोड़ने व अन्न बचाने के लिए श्रीगुरु सिंघ सभा के सदस्य पूरे दिन संदेश देते रहे। उन्होंने हाथ जोड़कर सभी से निवेदन किया। गुरु पर्व के दौरान कॉलेज परिसर में विशाल दीवान सजाया गया। सुबह नितनेम साहिब व सुखमनी साहिब के पाठ के साथ दीवान की शुरुआत हुई।
संगत ने श्री गुरुग्रंथ महाराज के समक्ष शीश झुकाया। श्री गुरुग्रंथ साहिब महाराज के समक्ष पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को दो घंटे तक कतार में इंतजार करना पड़ा। संगत ने शबद सुने और वंदन किया। हर स्थान पर बड़ी संख्या में संगत पहुंची व सेवा की। श्री गुरुसिंघ सभा इंदौर के अध्यक्ष सरदार मनजीत सिंह भाटिया ने बताया कि सुबह के दीवान में गुरमत प्रचार व गुरप्रसाद जत्था ने आसा दी वार का कीर्तन किया। बाद में भाई बलजिंदर सिंघ बल्लू की बांसुरी से संगतें मंत्रमुग्ध हो गईं। इसके बाद जसबीर सिंघ खालसा (साबका हजुरी रागी जत्था, श्री दरबार साहिब अमृतसर) ने श्री गुरु नानक देव महाराज के जन्मसमय की स्थिति का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने गुरु वाणी शबद ‘जिउ करि सूरजु निकलिआ तारे छपे अंधेर पलोआ’ की व्याख्या करते हुए बताया कि जिस प्रकार सूरज के उदय होने पर आसमान में तारे छिप जाते हैं और अंधकार खत्म हो जाता है, उसी प्रकार गुरु नानक साहिब इस संसार में प्रगट हुए।
उन्होंने काम, क्रोध, मद, मोह जैसे विकारों को दूर करने के लिए गुरुवाणी का प्रकाश किया। भाई तेजिंदरसिंघ खन्नाा वाले ने कीर्तन किया, वहीं इंदौर गुरुद्वारा साहिब के सभी स्त्री सत्संग जत्थे ने भी सामूहिक शबद कीर्तन किया। गुरमत विचारक ज्ञानी अजीतसिंह (लुधियाना) ने कहा कि इंदौर की धरती भी बहुत भाग्यशाली है, जहां गुरु नानक जी के चरण पड़े। बलजीतसिंह नामधारी (दिल्ली) ने संगीतमय प्रस्तुति दी। मनजीतसिंह भाटिया और जसबीरसिंह गांधी ने आभार माना। जसविंदर सिंह अरनेजा, देवेंद्रसिंह गांधी, तजिंदरसिंह खनूजा, जसवंतसिंह ज्ञानी, जगजीतसिंह टूटेजा, इंदरजीतसिंह होरा आदि सक्रिय सहयोग दिया। स्कूल के बच्चों ने भी भाग लिया। संगतों ने एक- दूसरे का मुंह मीठा कराकर प्रकाश पर्व की बधाई दी। सत्तर हजार लोगों ने गुरु का लंगर ग्रहण किया। संगत ने ही गुरु का ध्यान करते हुए अपने हाथों से ही दाल, सब्जी और अन्य स्वादिष्ट जाप (भोजन) बनाया। कोई हलवाई नहीं था। संगत ने पूरे मैदान में इंदौरी परंपरा के अनुरूप सफाई का भी पूरा ध्यान रखा। जूठन नहीं छोड़ने के लिए भी लोगों से लगातार अनुरोध किया और हाथ जोड़कर संदेश देते रहे।