वैज्ञानिकों ने एक ऐसा वायरस खोजने का दावा किया है, जो हर तरह के कैंसर का खात्मा करने में सक्षम है। मेडिकल के क्षेत्र में इसे एक बड़ी सफलता के तौर पर देखा जा रहा है। इस वायरस को वैक्सीनिया सीएफ-33 नाम दिया गया है। इस समय दुनियाभर में 100 से भी ज्यादा प्रकार के कैंसर पाए जाते हैं। किसी भी तरह के कैंसर का पता तीसरे या चौथे स्टेज में चलने पर इलाज की संभावना बहुत कम हो जाती है। वैज्ञानिक अब इस सफलता के बाद उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द ही कैंसर को जड़ से खत्म किया जा सकेगा। अगर टेस्ट में सबकुछ ठीक रहा तो अगले साल ही इसे दवा के तौर पर ब्रेस्ट कैंसर के मरीजों पर टेस्ट किया जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार यह एक ऐसा वायरस है, जो शरीर में कॉमन कोल्ड (सर्दी-जुकाम) का कारण बनता है। मगर इसे कैंसर सेल्स के साथ इन्फ्यूज कराने के बाद वैज्ञानिक हैरान थे। टेस्ट के दौरान इस वायरस ने पेट्री डिश में सभी प्रकार के कैंसर को खत्म कर दिया। इसके बाद चूहों पर टेस्ट करने पर भी वैज्ञानिकों ने पाया कि इस वायरस ने ट्यूमर को सिकोड़ कर काफी छोटा कर दिया। इस वायरस को ऑस्ट्रेलियन बायोटेक कंपनी इम्यूजीन ने बनाया है। इसे बनाने का श्रेय यूएस के वैज्ञानिक और कैंसर स्पेशलिस्ट प्रफेसर युमान फॉन्ग को जाता है।
काउपॉक्स मिलाकर तैयार किया गया है यह वायरस- प्रोफेसर फॉन्ग बताते हैं कि काउपॉक्स नाम का एक वायरस होता है, जो पिछले 200 सालों से छोटीमाता को ठीक करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है और इसका इंसानों के शरीर पर कोई दुष्प्रभाव नहीं देखा गया है। काउपाक्स नाम के इसी वायरस को कुछ अन्य वायरसों के साथ मिलाकर चूहों के ट्यूमर पर इसका ट्रायल किया है। ट्रायल में देखा गया कि चूहों के शरीर में मौजूद कैंसर सेल्स सिकुड़कर काफी छोटे हो गए और उनका बढ़ना भी बंद हो गया। प्रफेसर फॉन्ग ऑस्ट्रेलिया में ही इस वायरस के क्लिनिकल ट्रायल की तैयारी कर रहे हैं। बाद में इसे अन्य देशों में भी टेस्ट किया जाएगा। इस ट्रायल के दौरान ट्रिपल निगेटिव ब्रेस्ट कैंसर, मेलानोमा, फेफड़ों के कैंसर, ब्लाडर कैंसर, पेट के कैंसर के मरीजों पर टेस्ट किया जाएगा। हालांकि चूहों पर हुए इस शोध की सफलता इस बात को पूरी तरह आश्वस्त नहीं करती है कि इंसानों में भी इसके परिणाम वैसे ही देखने को मिलेंगे। अभी इंसानों पर इस वायरस का टेस्ट होना बाकी है, जिसके दौरान इसके दुष्प्रभावों की भी जांच करनी पड़ेगी। फिर भी प्रफेसर फॉन्ग और मेडिकल साइंस से जुड़े सभी वैज्ञानिक इस शोध को लेकर काफी उत्साहित हैं और इसे बड़ी सफलता के रूप में देख रहे हैं।