जिला कोरिया. योगेश शर्मा जो चपरासी के पद पर नौकरी कर रहे हैं। उनके विरूद्ध कुछ दलालों के द्वारा जिला शिक्षा अधिकारी को भ्रमित करके चपरासी के पद से निलंबित कर दिया गया। योगेश शर्मा अपने परिवार वालों की बीमारी से परेशान थे उनकी पत्नी को लकवा मार गया था इस दौरान जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा उनका दो-तीन माह का वेतन भी रोक दिया गया था। पैसे के अभाव में वे अपनी पत्नि का ईलाज तक नहीं करा सके जिससे उनकी पत्नि का स्वर्गवास हो गया। अभी हाल ही में योगेश शर्मा को डाॅक्टरों ने बताया कि उनके गले के पास कैंसर हो गया है। वे अपने ईलाज के लिए छुट्टी लेकर चेन्नई तक गये। वहां से आकर वे वशिष्ठ टाईम्स के संपादक से अपनी आप-बीती बताए। संपादक उसे अपने साथ जिला शिक्षा अधिकारी के पास लेकर गए।
संपादक द्वारा उसके वास्तुस्थिति की जानकारी जिला शिक्षा अधिकारी को दी गई। और उनसे बताया कि इनके छोटे-छोटे दो बच्चे हैं। योगेश शर्मा को नजदीकी विद्यालय में पदस्थ किया जाए जिससे वे अपने बच्चों का व अपना जीवन यापन कर सकें। क्योंकि उसकी स्थिति इस प्रकार की नहीं है कि वह कोई वाहन खरीदकर दूर जा सके। एवं उनका रूका हुआ वेतन भी उन्हेे जल्द से जल्द दिलाया जाए। जिससे वे अपना कार्य सुचारू रूप से कर सकें। देखना यह है कि जिला शिक्षा अधिकारी किसी दलाल के भड़कावे में ना आ जाएं। इस संबंध में जिला शिक्षा अधिकारी के बाबू द्वारा अधिकारी के नाम से संपादक से पैसे की मांग की गयी। इससे प्रतीत होता है कि जिला शिक्षा अधिकारी के नाम से बाबू पैसा वसूलते हैं। बाबू राज जिला शिक्षा अधिकारी के साथ चल रहा है। देखा जाए तो ये लोग पद पर बैठकर करोड़ों रूपयों के मालामाल हो चुके हैं।