Home समस्या भूख-प्यास से चार गायों की मौत…

भूख-प्यास से चार गायों की मौत…

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रायपुर. अभनपुर ब्लॉक के भरेंगाभाठा गांव में भूख-प्यास से चार गायों की मौत हो गई। वहीं तीन की हालत नाजुक है। उन्हें रायपुर के पंडरी स्थित पशु चिकित्सालय भेजा गया है। इसके अलावा बंधक बनाई गईं करीब 300 गायों को मुक्त कराया गया। भरेंगाभाठा गांव में चार गायों की मौत का मामला सामने आने के बाद प्रशासनिक अमले में हड़कंप मच गया है। अभनपुर एसडीएम सूरज साहू और जनपद सीईओ शीतल बंसल मामले की जांच के लिए गुरुवार को दल-बल समेत ग्राम भरेंगाभाठा पहुंचे। यहां निर्माणाधीन एनआइटी परिसर में चार गायें मृत मिलीं। तीन गंभीर थीं, जिन्हें वाहन की मदद से रायपुर के पंडरी स्थित पशु चिकित्सालय भेजा। इस दौरान कुछ गायों की अस्थियां भी मिली हैं। आशंका जताई जा रही है कि फसल को चराई से बचाने के लिए गायों को एनआइटी परिसर में बंद कर दिया होगा। अभनपुर एसडीएम सूरज साहू ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है।

ग्रामीणों से पूछताछ की गई है। जो भी दोषी पाया जाएगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। वहीं दूसरी ओर पंचायत सचिव ने इस मामले में किसी भी प्रकार की जानकारी होने से इन्कार कर दिया है। रायपुर जिले के अभनपुर विकासखंड के भरेंगाभाठा गांव में चार गायों की मौत का मामला सामने आने के बाद प्रशासनिक अमले में हड़कंप मच गया है। मामला तेजी से फैलने के बाद जिला प्रशासन तत्काल हरकत में आया और जनपद पंचायत अभनपुर के आला अधिकारियों को इस मामले की जांच करने के लिए निर्देशित किया। अधिकारियों से निर्देश मिलते ही अभनपुर एसडीएम सूरज साहू और जनपद सीईओ शीतल बंसल दल-बल समेत ग्राम भरेंगाभाठा पहुंचे। उन्होंने निर्माणाधीन एनआइटी परिसर में जांच की तो चार गाय मृत पाई गईं।

वहीं तीन गायों को गंभीर हालत में रायपुर के पंडरी स्थित पशु चिकित्सालय भेजा गया। इसके अलावा वहां 300 गायों को बंधक बनाया गया था, जिसे अधिकारियों के निर्देश के बाद मुक्त कर दिया गया। गायों को बंधक बनाने को लेकर एक बाद सामने आई है कि गांव के लोगों ने खेती और घास चरने से रोकने मवेशियों को बंधक बनाया गया। मामला गंभीर होते देखकर चर्चा करते हुए अभनपुर एसडीएम सूरज साहू ने जांच के बाद दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की बातें कही है। वहीं इस संबंध में पंचायत सचिव ने किसी भी प्रकार की जानकारी होने से साफ इंकार कर दिया। अभनपुर विकासखंड के पंचायत प्रतिनिधि मामले की भनक मिलते ही अपने-अपने घर में ताला लगाकर गायब हो गए हैं। अभनपुर के ग्राम भरेंगाभाठ क्षेत्र के निर्माणाधीन एनआइटी परिसर में जुलाई महीने से तकरीबन तीन सौ गायों को बंधक बनाकर रखा गया था। इन पांच महीनों में मवेशियों को न ही खाना दिया गया और न ही पानी।

इसके चलते चार भूखी -प्यासी गायों ने दम तोड़ दिया, वहीं तीन गायों की हालत नाजुक बनी हुई है। आखिरकार इन गायों को किसने पकड़कर कैद किया और किसके बोलने पर किया यह अभी सवाल खड़ा होता है, जबकि गायों को रखने के लिए शासन द्वारा गोठान बनाया गया है। इसके बावजूद माता कहलाने वाली गायों की यह दुर्दशा होना शासन-प्रशासन की कार्य शैली पर सवालिया निशान खड़ी करती है। ड्रिप चढ़ाकर किया गया उपचार जैसे की प्रशासन को इसकी सूचना मिली, तत्काल प्रभाव से डॉक्टर समेत आला अधिकारी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने जिन गायों की हालत नाजुक थी, उनका ड्रिप और इंजेक्शन लगाकर इलाज किया गया। इससे उनकी हालत में सुधार आया है। नाजुक बनी हुई है। आखिरकार इन गायों को किसने पकड़कर कैद किया और किसके बोलने पर किया यह अभी सवाल खड़ा होता है, जबकि गायों को रखने के लिए शासन द्वारा गोठान बनाया गया है।

इसके बावजूद माता कहलाने वाली गायों की यह दुर्दशा होना शासन-प्रशासन की कार्य शैली पर सवालिया निशान खड़ी करती है। ड्रिप चढ़ाकर किया गया उपचार जैसे की प्रशासन को इसकी सूचना मिली, तत्काल प्रभाव से डॉक्टर समेत आला अधिकारी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने जिन गायों की हालत नाजुक थी, उनका ड्रिप और इंजेक्शन लगाकर इलाज किया गया। इससे उनकी हालत में सुधार आया है। जनपद मुख्यालय से मात्र तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस गांव में गायों की दुर्दशा के लिए कहीं न कहीं विभाग के वे संबंधित अधिकारी भी जिम्मेदार हैं। जिन पर सरकार की महत्वाकांक्षी योजना गोठान के उचित क्रियान्वयन की जिम्मेदारी है। प्रशासन को ऐसे जिम्मेदार अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो सकती है।

राज्य सरकार गोठानों की योजना केवल कागजों में ही सिमट कर रह जाएगी और छत्तीसगढ़िया मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का सपना साकार होने से पहले ही दम तोड़ देगा। जानकारी के अनुसार एनआइटी का निर्माणाधीन यह क्षेत्र काफी बड़ा है। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि यहां कुछ गाए के कंकाल भी देखने को मिले हैं। इससे अंदाजा लगाया जा रहा कि गायों की मौत की संख्या काफी अधिक है। ड्रीप चढ़ाकर किया गया उपचार जैसे की प्रशासन को इसकी सूचना मिली, तत्काल प्रभाव से डॉक्टर समेत आला अधिकारी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने जिन गायों की हालत नाजुक थी, उनका ड्रिप और इंजेक्शन लगाकर इलाज किया गया। इससे उनकी हालत में सुधार आया है।

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