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बीपीएल परिवार के राशन कार्डधारकों को नमक के नाम पर परोसा गया जहर…

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बिलासपुर. प्रदेश के बहुचर्चित नान घोटाले की सीबीआइ जांच की मांग को लेकर दायर अलग-अलग चार जनहित याचिकाओं पर एकसाथ सुनवाई हो रही है। इसके लिए हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रामचंद्र मेनन के निर्देश पर स्पेशल बेंच का गठन किया गया है। गुरुवार को जस्टिस पी सैम कोशी व जस्टिस आरपी शर्मा के स्पेशल डिवीजन बेंच में सुनवाई शुरू हुई । याचिकाकर्ता व वकील सुदीप श्रीवास्तव ने पूर्ववर्ती भाजपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि बीपीएल परिवार के राशन कार्डधारकों को नमक के नाम पर जहर परोसा गया। नमक की आपूर्ति के लिए एक ही व्यक्ति को ठेका मिला । पूरे मामले की गंभीरता से जांच की आवश्यकता है। प्रदेश के इस हाईप्रोफाइल मामले की 26 अगस्त को सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने स्पेशल डिवीजन बेंच में सुनवाई की व्यवस्था दी थी । चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली डिवीजन बेंच ने प्रतिदिन सुनवाई की व्यवस्था के साथ ही दो सितंबर तक का समय निर्धारित किया है। इसमें हर पक्षकार को बहस के लिए समय निर्धारित कर दिया है। नागरिक आपूर्ति निगम (नान) में हुए करोड़ों के घोटाले को लेकर सामाजिक संगठन हमर संगवारी, वकील सुदीप श्रीवास्तव, पूर्व विधायक वीरेंद्र पांडे और वशिष्ठ नारायण सिंह ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है।

याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि राज्य में राइस मिलरों से लाखों क्विंटल घटिया चावल लिया गया और इसके बदले करोड़ों रुपये की रिश्वतखोरी की गई है। इसी तरह नागरिक आपूर्ति निगम के परिवहन में भी भारी घोटाला किया गया। इस मामले में 27 लोगों पर मामला दर्ज किया गया था। इनमें से 16 के खिलाफ 15 जून 2015 को अभियोग पत्र पेश किया गया, जबकि मामले में दो वरिष्ठ आइएएस अधिकारी डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टूटेजा पर कार्रवाई की अनुमति के लिए पत्र लिखा गया था। याचिकाकर्ता ने अदालत से कहा कि उन्हें एंटी करप्शन ब्यूरो द्वारा पेश चालान से कोई आपत्ति नहीं है। मामले में प्रस्तुत दस्तावेज में जिस सीएम मैडम और डॉक्टर साहब का उल्लेख है उस संबंध में गिरीश शर्मा व शिवशंकर भट्ट से पूछताछ नहीं हुई है। दोनों व्यक्ति कौन हैं, इसकी जांच होनी चाहिए। नान घोटाला मामले में हमर संगवारी व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष विक्रम उसेंडी की याचिका में बहस होने के बाद याचिकाकर्ता सुदीप श्रीवास्तव की याचिका पर सुनवाई शुरू हुई थी । इस दौरान याचिकाकर्ता सुदीप श्रीवास्तव ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष द्वारा याचिकाकर्ता पर कांग्रेस सरकार से मिले होने के लगाए गए आरोप पर जवाब पेश किया। उन्होंने पूर्व में कांग्रेस सरकार के निर्णय का विरोध करने के संबंध में जानकारी दी। साथ ही बताया वे किसी भी राजनीतिक दल के बंधन में नहीं हैं। इसके अलावा मामले में पिछली सभी बातों को रखते हुए कहा कि एसीबी द्वारा पेश चालान सही है।

इस चालान में जो दस्तावेज पेश किया गया, इसकी पूरी जांच नहीं की गई। एसीबी ने जिनके खिलाफ चालान पेश किया है उन्हें सजा दिलाना चाहती है, किन्तु अन्य को बचाने में लगी है। एसीबी ने शिवशंकर भट्ट व गिरीश शर्मा से जो दस्तावेज जब्त किया है, उसमें सीएम मैडम व डॉक्टर साहब का उल्लेख है। इन दोनों को डेढ़ हजार से तीन लाख रुपये तक का भुगतान किया गया। सीएम मैडम व डॉक्टर साहब कौन हैं, इस संबंध में एसीबी ने कोई पूछताछ नहीं की है। इसकी जांच होनी चाहिए। इसके अलावा एसीबी ने चालान में कहा है कि एक जनवरी 2015 को नान में गड़बड़ी होने की गुप्त सूचना मिली थी। 12 फरवरी 2015 को एसीबी ने छापामार कार्रवाई की। इसमें प्रदेश के सभी 27 जिलों में गड़बड़ी हुई। फिर भी एसीबी ने छह-सात जिलों के कुछ ही अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है। 2014-2015 की शिकायत की जांच की गई, जबकि गड़बड़ी 2011-2012 से चल रही थी। इसकी पूरी जांच होनी चाहिए। गुरुवार को स्पेशल डिवीजन बेंच में सुनवाई प्रारंभ हुई । याचिकाकर्ता सुदीप श्रीवास्तव अपनी पैरवी खुद कर रहे थे।

श्रीवास्तव ने पूर्ववर्ती राज्य सरकार पर आयोडिन नमक के नाम पर राशन कार्डधारक गरीबों को जहर परोसने का आरोप लगाया । उन्होंने आयोडिन नमक की आपूर्ति के लिए निकाले गए टेंडर पर संदेह व्यक्त करते हुए कहा कि एक ही व्यक्ति के नाम टेंडर निकाला गया है और नमक आपूर्ति का ठेका भी दे दिया। पूरे प्रदेश में गरीबों को घटिया नमक की आपूर्ति की जाती रही है। शुक्रवार को भी इस मामले में बहस होनी थी। याचिकाकर्ता वकील के शहर से बाहर रहने संबंधी आवेदन के बाद स्पेशल डिवीजन बेंच ने अगली सुनवाई के लिए 14 वंबर की तिथि तय कर दी है। चीफ जस्टिस के निर्देश पर प्रत्येक सप्ताह के गुरुवार और शुक्रवार को दोपहर ढाई बजे से कोर्ट की कार्रवाई समाप्त होते तक सुनवाई की व्यवस्था दी गई है। छत्तीसगढ़ के एंटी करप्शन ब्यूरो और आर्थिक अपराध शाखा ने 12 फरवरी 2015 को राज्य में नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों के 28 ठिकानों पर एक साथ छापा मार कर करोड़ों रुपये बरामद किये थे। इसके अलावा इस मामले में भ्रष्टाचार से संबंधित कई दस्तावेज, हार्ड डिस्क और डायरी भी एंटी करप्शन ब्यूरो ने जब्त किए थे। आरोप है कि धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में राइस मिलरों से लाखों क्विंटल घटिया चावल लिया गया और इसके बदले करोड़ों रुपये की रिश्वतखोरी की गई। इसी तरह नागरिक आपूर्ति निगम के ट्रांसपोर्टेशन में भी भारी घोटाला किया गया । इस मामले में 27 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था । जिनमें से 16 के खिलाफ 15 जून 2015 को अभियोग पत्र पेश किया गया था । जबकि मामले में दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारी डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टूटेजा के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति के लिये केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखी गई ।

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