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प्रदेश में समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी को लेकर जारी कर दी है अधिसूचना…

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रायपुर। प्रदेश में समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी को लेकर अधिसूचना जारी कर दी है। एक दिसंबर से राज्य में किसानों के धान की खरीदी शुरू होगी। कॉमन वेरायटी के धान का समर्थन मूल्य 1815 रुपये प्रति क्विंटल तय है और इस पर राज्य सरकार अलग से बोनस देगी। समर्थन मूल्य के साथ जारी की गई अधिसूचना के बाद इस पर राजनीति फिर गर्म हुई और कुछ लोगों ने किसानों को भड़काना शुरू किया। दरअसल अधिसूचना में उसी राशि का जिक्र होता है जो मूल रूप से तय किया गया समर्थन मूल्य है। इसके अलावा अतिरिक्त बोनस राशि सरकार द्वारा दी जाती है।

अब इस मुद्दे पर पंचायत व स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने भाजपा पर किसानों को गुमराह करने का आरोप लगाया है। टीएस सिंहदेव ने कहा कि भूपेश सरकार किसानों को उनके धान की कीमत 2500 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से ही भुगतान करेगी। धान का पेमेंट दो अलग-अलग प्रक्रियाओं में होता है। एमएसपी और बोनस अलग-अलग भुगतान किया जाता है। अधिसूचना में एमएसपी का जिक्र किया गया है, यह बात भाजपा अच्छी तरह से जानती है। इसके बावजूद लोगों को गुमराह करने के लिए किसानों के बीच भ्रम की स्थिति पैदा की जा रही है।  राज्य में धान खरीदी को लेकर केंद्र और राज्य में लगातार खींचातानी चल रही है।

राज्य की कांग्रेस सरकार ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में किसानों को धान का समर्थन मूल्य बोनस के साथ 2500 सौ रुपये प्रति क्विंटल की दर से देने का वादा किया था। राज्य सरकार चाहती है कि धान की खरीदी प्रक्रिया में सेंट्रल पुल की खरीदी की सीमा बढ़ाई जाए, ताकि राज्य सरकार को आर्थिक सहयोग मिले, लेकिन केंद्र सरकार ने नियमों को सिथील करने में रूचि नहीं दिखाई। दूसरी ओर केंद्र सरकार की ओर से यह बयान आया कि 2500 रुपये कीमत पर धान की खरीदी ये बाजार में अस्थिरता की स्थिति पैदा हो सकती है। प्रदेश सरकार द्वारा पंचायतों में सरपंच के अप्रत्यक्ष चुनाव तरीके पर उठाए जा रहे सवाल और उसके खिलाफ अदालत में लगाई गई याचिका को लेकर कहा कि अदालत में जाने का अधिकार हर किसी व्यक्ति के पास है। उन्हें इस प्रक्रिया से आपत्ती है तो वे अदालत गए हैं। इसके लिए वे स्वतंत्र हैं, लेकिन अप्रत्यक्ष चुनाव में कोई भी बुराई नहीं है। पहले भी अप्रत्यत्क्ष चुनाव प्रणाली थी, यह कोई नई प्रणाली नहीं है। इस प्रणाली से कार्य में ज्यादा पारदर्शिता आएगी और गांवों को समूचित विकास पंचायतों के माध्यम से हो सकेगा।

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