जिला कोरिया में भू-माफिया, आर.आई. के माध्यम से जमीनों का परिवर्तन कराने में माहिर हो चुके हैं। यहां तक है कि भू-माफिया पत्रकारिता में भी शामिल हो चुके हैं। लेकिन भारत सरकार की नजर में वे पत्रकार नहीं माने जाते हैं। आज देखा जाए तो पत्रकारिता की धौंस से करोड़ों की जमीन लाखों में लिखा ली जाती हैं ये पत्रकारिता है या भू-माफिया का व्यापार. बढ़-चढ़ कर पत्रकारिता करने वाले समाज में अपनी लम्बी-लम्बी सफाईयां देते हैं।
भू-माफिया किसी मुस्लिम वर्ग के लोगों की जमीन में हाथ तक नहीं लगाते और हिंदूओं की जमीनें छांट-छांट कर गलत ढंग से ठग लेते हैं। क्योंकि भू-माफिया जिसमें कई मुस्लिम भी शामिल हैं हिंदुओं की जमीन को पटवारी व आर.आई. के माध्यम से मिलकर बेच डालते हैं। रजिस्ट्री की एक गाथा ऐसी भी देखने को मिली कि जमीन किसी और की एवं फोटो किसी और की है। जिसके नाम से जमीन है उसका फर्जी हस्ताक्षर करके जमीन को बेंच दिया जाता है। आज भू-माफिया माला-माल हो चुके हैं। आज भी तहसील एवं व्यवहार न्यायालय में उन्हे देखा जा सकता है पर प्रशासन मुख दर्शक बनकर बैठा हुआ है।