बिलासपुर । छत्तीसगढ़ के ग्राम कलंत्री जिला बिलासपुर से लापता 75 वर्षीय महिला को 15 साल बाद उसका परिवार मिला। रत्नपुरी सीनियर सिटीजन वेलफेयर सोसायटी ने तलाश कर महिला के बेटे से संपर्क किया। गुरुवार सुबह बेटे को अचानक वृद्धाश्रम में देख उसे गले लगा लिया। जानकारी के अनुसार दीपावली के पहले वृद्धा (सूरजाबाई पति स्व. नंदकीराम धीमर निवासी ग्राम कलंत्री जिला बिलासपुर) सैलाना में एक स्थान पर बैठी थी। पुलिस ने महिला को वृद्धाश्रम पहुंचाया। रत्नपुरी सीनियर सिटीजन वेलफेयर सोसायटी द्वारा वृद्धाश्रम में दीपावली मिलन समारोह रखने पर मुख्य अतिथि डीएसपी भूपेंद्रसिंह राठौर, सोसायटी अध्यक्ष प्रमोद वोरा, सोसायटी प्रभारी शबाना खान ने देखा कि सभी के चेहरों पर खुशी थी, लेकिन वह महिला दुखी बैठी थी। वृद्धाश्रम संचालक लोकेश से डीएसपी ने जानकारी ली तो बताया कि वह अपने परिवार के बारे में कुछ नहीं बता रही है। डीएसपी ने सोसायटी प्रभारी शबाना से कहा कि वह महिला की देखरेख कर परिवार तक पहुंचाने की कोशिश करे।
दीपावली के दूसरे दिन वृद्धाश्रम से शबाना को फोन पर बताया गया कि महिला रो रही है। उन्होंने संचालक लोकेश के साथ महिला को समझाने की कोशिश की। धीरे-धीरे चर्चा में महिला ने अपना नाम सूरजाबाई पति नंदकीराम धीमर निवासी ग्राम कलंत्री जिला बिलासपुर बताया। शबाना ने फेसबुक फ्रेंड सामाजिक कार्यकर्ता फरीदा खान का मोबाइल नंबर तलाश कर सूरजबाई का फोटो वॉट्सएप पर भेजा। दो दिन बाद फरीदा ने शबाना को बताया कि खेतिहर मजदूर देवेंद्र पांडे ने पहचान की है। पांडे ने सूरजाबाई के बड़े बेटे तारकेश कुमार के फोन नंबर शबाना को दिए। शबाना के संपर्क करने पर तारकेश ने बताया कि सूरजाबाई उनकी सगी मां है और 15 साल से उनके साथ नहीं है।
उनकी सौतेली मां भी है, जिनका एक्सीडेंट में हाथ फ्रैक्चर हो गया है। आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने से अभी नहीं आ सकते। शबाना ने तारकेश को समझाया कि रतलाम से गांव तक पहुंचाने और खाने-पीने की जिम्मदारी संस्था उठाएंगी। इस पर तारकेश बुधवार रात नौ बजे रतलाम पहुंचे। रेलवे स्टेशन पहुंचने पर शबाना तारकेश को गुरुवार को वृद्धाश्रम ले गई। पुत्र को देखकर सूरजाबाई और उपस्थित लोग खुश हो गए। तारकेश ने शबाना को बताया कि मां सूरजाबाई 15 वर्ष पहले घर से निकल गई थी। बीच-बीच में इनकी खबर आती तो वे लेने जाते थे, लेकिन मां आने से मना कर देती थी। डीएसपी राठौर, सोसायटी प्रभारी शबाना खान, वृद्धाश्रम संचालक लोकेश ने सूरजाबाई व तारकेश को समझाइश दी। सोसायटी अध्यक्ष वोरा ने कहा कि उन्हें गर्व है कि संस्था बिछड़े मां-बेटे को मिलवाने में सफल हुई।