देवोत्थान एकादशी पूजन में विशेष रूप से गन्ने का उपयोग होता है। गन्ना भगवान को अर्पण तो किया ही जाता है, साथ ही तीन, पांच और ग्यारह गन्नों का मंडप भी तैयार किया जाता है। इसके बाद गन्नों की पूजा कर भगवान विष्णु का जागरण किया जाता है। साथ ही श्रद्धालु उठो देव, जागो देव, अंगुरिया चटकाओ देव. का भी गायन करते हैं। गन्ना सेहत के लिए बेहद सेहतमंद होता है। कार्तिक मास में गन्ना की कटाई शुरू होती है। गन्ना से गुड़ बनता है, जिसके सेवन से सर्दी नहीं सताती है। इस वजह से किसान गन्ने की कटाई से पहले गन्ना की पूजा करते है और काटते हैं। एकादशी पर भगवान की पूजा में सिंघाड़ा, बेर, मूली, गाजर, केला और बैंगन सहित अन्य मौसमी सब्जियां अर्पित की जाती हैं। धार्मिक मान्यता है कि सिंघाड़ा माता लक्ष्मी का सबसे प्रिय फल है। इसका प्रसाद लगाने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है। वहीं भगवान विष्णु को केला अर्पित किया जाता है। इससे घर में हमेशा धन की वृद्धि रहती है। वहीं बैंगन, मूली, गाजर स्वास्थ्य का प्रतीक है।
घरों में सजेंगे गन्ने के मंडप
शुक्रवार को देवोत्थान एकादशी का त्योहार मनाया जाएगा। इस पर्व पर प्रत्येक घरों में गन्नों के मंडप सजाए जाएंगे। इनकी पूजा उपासना कर भगवान विष्णु का जागरण किया जाएगा। पर्व को लेकर महानगर के सभी घरों में तैयारियां शुरू हो गई है।, वहीं बाजार में मीठे गन्ने बाजार में बिकने के लिए आ चुके है।
10 से 15 रुपये में बिका गन्ना देवोत्थान एकादशी पर गन्ना भगवान विष्णु की पूजा में चढ़ाने का विधान है। इसी विधान के तहत बाजार में जमकर गन्ने की बिक्री हुई। 15 से 20 रुपये में एक गन्ना बिका। आम दिनों में 20 रुपये किलो बिकने वाली शकरकंद 40 रुपये किलो बिकी। सिंघाड़ा भी 20 से 25 रुपये किलो बिका।