जबलपुर। कान्हा के जंगल में घायल मिले छह माह के बाघ शावक के स्वास्थ्य में धीरे-धीरे सुधार आ रहा है। शुक्रवार को पिंजरे में बंद शावक को खाने में चिकन दिया गया। विवि के वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर के विशेषज्ञों का मानना है कि पंजा कटने के बाद वह जंगलों के लिए फिट नहीं है, हालांकि इस पर अंतिम निर्णय वन विभाग को लेना है। अभी दो से तीन दिन तक वह वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट के पिंजरे में ही रहेगा। यहां डॉक्टर्स और एक्सपर्ट की टीम इसके स्वास्थ्य पर नजर रखे हुए हैं। वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट की डायरेक्टर डॉ.मधु स्वामी ने बताया कि शावक का पैर बुरी तरह से घायल था, उसके पिछले पैर में 3 इंच की हड्डी ही नहीं थी। वहां से पैर के दोनों ओर देखा जा सकता था।
उस जगह पर वेटरनरी डॉक्टर्स की टीम ने राड डालने का प्रयास किया, लेकिन वह संभव नहीं हो सका। जहां तक इसके घायल होने की वजह है तो ऐसी संभावना है कि जंगल में दो पेड़ के बीच इसका पैर फंस गया था। इस दौरान इसने निकालने का प्रयास किया, जिससे पैर की हड्डी और मांस का कुछ हिस्सा पेड़ में ही फंसा रह गया। ऑपरेशन के बाद शावक के स्वास्थ्य में सुधार आया है। शावक तीन पैर से चल रहा है, लेकिन उसे पूरी तरह से स्वस्थ होने में एक से डेढ़ माह का वक्त लगेगा। इस दौरान उसकी हर दिन ड्रेसिंग की जाएगी। इसके बाद वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी तय करेंगे कि इसे कहां और कैसे रखा जाए। हालांकि इसका दौरान जंगल में शिकार करना और घूमना मुश्किल है। यह वहां के माहौल के लिए फिट नहीं है, इसलिए संभावना है कि इसे किसी जू में ही रखा जाएगा।