जिला कोरिया. जिला कोरिया को अस्तित्व में लगभग 20 साल हो गए हैं। लेकिन ऐसा पुलिस अधीक्षक कभी नहीं आया। कोरिया जिले की जनता, पुलिस अधीक्षक से त्रस्त हो चुकी थी। चापलूस या दान-दक्षिणा देने वाले लोगों को ही पुलिस अधीक्षक पसंद करते थे। पूरे जिले के एफ.आई.आर उनकी मर्जी से हुआ करते थे। यहां तक देखा गया कि टी.आई. रैंक के लोगों का स्थानांतण एक-एक हफ्ते में थानों में किया जाता था। आखिर इस स्थानांतरण का क्या मतलब है?
इनके जमाने में लोगों के ऊपर झूठे मामले भी दर्ज किये गए हैं और अपराधों की संख्या भी बढ़ोत्तरी पर रही है। बुद्धजीवी पत्रकार पुलिस अधीक्षक के बजाय एक हवलदार से मिलना उचित समझते थे। ऐसे भी बहोत से मामले सामनेे आए हैं कि एक अधिकारी के साथ मार-पीट, अपहरण व गाली-गलौज किया गया, एक पुलिस कर्मी के साथ पुलिस लाइन में गाली-गलौज व मार-पीट किया गया जिसका जीता-जागता सबूत है विडियो। एवं यह भी एक सबूत है कि मेन मार्केट में विष्णु दत्त गुप्ता के साथ मार-पीट किया गया। उनके समय में सट्टा, दारू, जुआं खुलकर होता था।
पुलिस अधीक्षक के द्वारा तीन साल के दौरान जनकपुर-भरतपुर में एक या दो बार ही निरिक्षण किया गया होगा एवं आस-पास के थानों में भी कभी-कभार ही निरिक्षण किये होंगे। वे तो बस अपने कार्यालय में ही समय व्यतीत करते थे। कोरिया जिले के थाना प्रभारियों को कलम के माध्यम से विकलांग करके रखे हुए थे। भोली-भाली जनता को डरा-धमका कर एवं खून के घूट पीकर 3 साल व्यतीत किये। कोरिया जिले में जो अंधकार छाया हुआ था उसकी जगह अब श्री विवेक शुक्ला के स्थानांतण की खबर सुनकर प्रकाश देखने को मिलेगा। रायपुर में उच्चाधिकारी एवं नेताओं से वशिष्ठ टाइम्स के संपादक के द्वारा पूर्व से ही इनका स्थानांतरण कराने के लिए पूर्ण रूप से सहयोग किया गया।