Home शिक्षा छात्रों द्वारा जूते से सिंचाई, रोबोट से बुआई—

छात्रों द्वारा जूते से सिंचाई, रोबोट से बुआई—

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राजधानी के शंकर नगर स्थित बीटीआई मैदान में मंगलवार को देश भर के बाल वैज्ञानिकों ने अपनी वैज्ञानिक सोच के जरिये लोगों को दंग कर दिया। खेतीबाड़ी और पर्यावरण संरक्षण को लेकर बाल वैज्ञानिकों ने बेहतरीन नवाचारिक प्रदर्शनी प्रदर्शित की। किसी ने जूते के जरिये खेतों की सिंचाई तो किसी ने रोबोट के जरिये बुआई का फार्मूला पेश किया। प्रदर्शनी का उद्घाटन राज्यपाल अनुसुईया उइके ने किया। उन्होंने राष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी में लगे बाल वैज्ञानिकों के मॉडलों का अवलोकन किया। वहीं राष्ट्रीय विज्ञान प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ शासन की महत्वाकांक्षी सुराजी गांव योजना, जिसमें नरवा, गरुवा, घुरुवा और बारी मॉडल को चहुंमुखी कृषि विकास एवं किसान कल्याण हेतु अभिनव पहल के रूप में प्रदर्शित किया गया है। मौके पर देश भर के 18 राज्यों के बाल वैज्ञानिकों ने हिस्सा लिया।

ये आकर्षण का केंद्र– राष्ट्रीय विज्ञान, गणित एवं पर्यावरण की थीम जीवन की चुनौतियों के लिए वैज्ञानिक समाधान विषय पर केंद्रित बाल वैज्ञानिकों ने प्रमुख वैज्ञानिक मॉडल प्रदर्शित किए हैं। उनमें उत्तराखण्ड के बाल वैज्ञानिकों ने सिवरेज सिस्टम, डिजास्टर मैनेजमेन्ट रोबोट, घर में झाडू, पोंछा लगाने वाला रोबोट, चण्डीगढ़ की बालिकाओं ने पार्किन्संस के मरीज को खाने का चम्मच (स्मार्ट स्पून), मरीजों के लिए दवाई खाने का एलार्म, बीपी नापने का मशीन, दिल्ली के छात्रों ने मेडिकल एटीएम, मध्यप्रदेश के बालकों ने कोकोनट, लकड़ी का बुरादा एवं पत्ते से बायोगैस का निर्माण, गोवा के बाल वैज्ञानिकों ने बेस्ट मैनेजमेंट, बिहार के छात्रों ने फायर फायटिंग रोबोट एवं वेस्ट मटेरियल से कोल्ड ब्रिक्स निर्माण, सीएटी धर्मशाला की बालिकाओं ने भौतिकी के सूत्र को आसान बनाने एवं चारकोल फिल्टर, केरल के बाल वैज्ञानिकों ने न्यूमेरिकल कंट्रोल मशीन, महाराष्ट्र के छात्रों ने बहुउद्देशीय कृषि यंत्र, चण्डीगढ़ के बालकों ने केले के पौधे से रोपमेट (रस्सी, पेपर एवं बैग) बनाने, विन्डटावर तथा गुजरात के छात्रों ने बैटरी लेस इलेक्ट्रॉनिक कार आदि मॉडल का प्रदर्शन किया।

गुजरात के इन बाल वैज्ञानिकों ने खींचा आकर्षण– गुजरात के उज्ला जिले से आए हंडेरी हर्ष ने बिना बैटरी और लाइट के किसानों के लिए स्पेयर तैयार किया, जिसे देख हर व्यक्ति प्रभावित हुआ। जूतों में एयर बॉल लगाकर उसे पाइप से जोड़ दिया। इसे कोई भी किसान पहन कर खेतों में दवाई का खिड़काव कर सकता है। साथ ही खेतों की सिंचाई भी की जा सकेगी। जैसे-जैसे कदमचाल होगी, दवाई की बाटल में एयर का प्रेशर बनेगा और खेतों में दवाई चली जाएगी। वहीं कच्छ जिले से आई रिद्धि हुबंल और रूपी रुलीना ने समुद्री इलाकों में पाई जाने वाली काई से लीवर के दवाई बनाने का फार्मूला बताया। उक्त काई से देशभर की कई मेडिसिन कंपनियां दवाई बना रही हैं।

उत्तर प्रदेश के इन मॉडलों से किसानों और आमलोगों की दिक्कत हुई दूर

कचरे से दूर हो जाएगी प्लास्टिक– आगरा के एमडी जैन इंटर कॉलेज से आए छात्र यशपाल और शिवम कुशवाहा ने कचरे से प्लास्टिक दूर करने का मॉडल बनाया। मॉडल में ड्रम को रोलर बना कर, उसे गर्म किया। उसे किसी भी कचरे वाले स्थान पर ले जाने पर प्लास्टिक अपने आप उसमें चीपक कर ऊपर आ जाता है। इससे प्लास्टिक की झिल्ली और अन्य चीजों को खोजने की जरूरत नहीं।

खेतों में पानी डालने की नहीं है जरूरत– गाजियाबाद शासकीय कन्या इंटर कॉलेज की छात्रा सोना शर्मा ने ऐसा मॉडल तैयार किया, जिसमें पूरा खेत सेंसर से कनेक्ट था। साथ ही उसके लिए ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया, जो अपने आप ही हर पौधे और फसल को पानी दे देगा। साथ ही पानी की मात्रा पौधे और फसल की आवश्यकतानुसार ही दिया जाएगा। इससे पानी की बचत की जा सकेगी।

छात्रों ने पेट्रोल गैस बर्नल से खाना बनाने का तरीका बताया– इलाहाबाद से आए मृत्युंजय कुमार मिश्रा और संतोष यादव ने पेट्रोल और पानी से घर में उपयोग की जाने वाली गैस बना दी। खास बात थी की 100 एमएल पेट्राल से आठ घंटे तक घरेलू गैस चलाई जा सकती है। मृत्युंजय ने बताया कि पानी और पेट्रोल दोनों को कांच की बोतल में बंद कर एयर फिल्टर के माध्यम से गैस तैयार की गई। साथ ही उसे तत्काल घरेलू ढाई लीटर के गैस सिलेंडर में एकत्रित कर उपयोग किया गया।

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