Home घटना सऊदी अरब के तट के पास ईरान के तेल टैंकर में धमाका—

सऊदी अरब के तट के पास ईरान के तेल टैंकर में धमाका—

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तेहरान। लाल सागर में ईरान के ऑयल टैंकर में धमाका हुआ है, जिसके बाद काफी मात्रा में तेल समुद्र में फैल गया। विश्लेषकों का कहना है कि यह एक आतंकी हमला था। धमाका नेशनल ईरानियन ऑयल कंपनी के टैंकर में हुआ और जहाज आग की लपटों में घिर गया। मीडिया रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि टैंकर पर दो मिलाइलें दागी गई थीं। ईरान की स्टूडेंट्स न्यूज एजेंसी ने बताया जा रहा है हादसा सऊदी बंदरगाह शहर जेद्दा से करीब 120 किमी दूर हुआ। धमाके की वजह से भारी नुकसान हुआ और तेल लाल सागर में फैल गया।

ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स की करीबी मानी जाने वाली नूर समाचार एजेंसी ने कहा कि चालक दल सुरक्षित था और इस दुर्घटनाग्रस्त जहाज का नाम सैनिटाइज्ड बताया जा रहा है। समाचार एजेंसी ने बताया कि स्थिति नियंत्रण में है। विस्फोट के बारे में सऊदी अरब से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है। हालांकि, अभी तक किसी ने भी इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है।

बताते चलें कि खाड़ी में तेल के बुनियादी ढांचे पर हाल के महीनों में कई हमले हुए हैं, जो मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव को उजागर कर रहे हैं। शुक्रवार की घटना ऐसे समय में सामने आई है, जब इससे पहले अमेरिका ने आरोप लगाया था कि ईरान ने होर्मुज जलडमरू के पास तेल टैंकरों पर हमला किया था। हालांकि, तेहरान ने अमेरिका के इन आरोपों से इनकार किया था।

अल जजीरा के जरीन बसरावी ने तेहरान से रिपोर्ट दी है कि जानकारी अभी भी आ रही है। निश्चित रूप से तेल टैंकर और तेल की सुविधाएं एक प्रमुख संघर्ष का केंद्र बन गई हैं। पिछले साल अमेरिका द्वारा परमाणु समझौते से हटने के बाद से वाशिंगटन और तेहरान के बीच संबंध लगातार बिगड़ रहे हैं। अमेरिका ने ईरान के तेल और बैंकिंग सेक्टर पर फिर से कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के फैसले के बाद होर्मुज जलडमरू के पास तेल के टैंकरों पर रहस्यमयी हमले हुए, ईरान ने अमेरिकी सेना का सर्विलांस ड्रोन मार गिराया और मध्य-पूर्व में अन्य घटनाए हुई हैं। सऊदी अरब की सरकारी तेल कंपनी आरामको पर 14 सितंबर को हुए ड्रोन और मिसाइल हमले के बाद खाड़ी में तनाव काफी बढ़ गया था। इस हमले के लिए भी अमेरिका ने ईरान को जिम्मेदार बताया था, जबकि तेहरान ने इससे इनकार किया था। उस हमले की जिम्मेदारी हौती विद्रोहियों ने ली थी, जिसकी वजह से वैश्विक तेल के उत्पादन में पांच फीसद की कमी आई थी।

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