Home सद्भावना गाय की ऐसी हालत देख लिया, आजीवन गौ सेवा का संकल्प

गाय की ऐसी हालत देख लिया, आजीवन गौ सेवा का संकल्प

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तेजाब से जली गाय को जब पशु चिकित्सालय लाया गया, तब वहां उसका उपचार करने से मना कर दिया गया उसे वापस लौटा दिया गया। इस जली हुई गाय की पीड़ा को देख विपुल शर्मा के मन में गाय के प्रति पीड़ा जगी और उन्होंने अपना पूरा जीवन गौ सेवा के प्रति समर्पित कर दिया। 15 वर्ष पूर्व की उस घटना के बाद से अब तक बीमार गौवंश की सेवा कर रहे हैं। दुर्घटना से घायल गाय हो या गंभीर बीमारी से ग्रसित विपुल हमेशा की उसकी देखभाल के लिए ततपर रहते हैं।

विजयापुरम निवासी विपुल शर्मा पतंजलि में सेल्स ऑफिसर के पद पर कार्यरत हैं। करीब 15 वर्ष पूर्व उन्होंने पशु चिकित्सालय से लगी जमीन पर बीमार गौवंश को रखने गोपाल गौशाला की नींव रखी। पहले पूरी गंदगी को साफ किया और लोगों को इसे फिर से गंदा नहीं करने का निवेदन किया।

धीरे-धीरे लोगों ने उनकी बात समझी और गौ सेवा के संकल्प को देखकर स्वच्छता का संकल्प लिया। शुरुआत में सिर्फ दो गायें थीं लेकिन अब लगभग 48 बीमार गाय हैं। उन्हें विभिन्न जगहों से उपचार के लिए लाया गया है।

अस्पताल में यदि किसी बीमार को देखने जाते हैं तो इनफेक्शन से बचने कई उपाय करते हैं। वहीं अपने बच्चों को विशेष रूप से इससे दूर रखते हैं। इसके विपरीत विपुल को किसी भी प्रकार से इनफेक्शन का डर नहीं है।

बिना किसी इसकी चिंता किए वे गंभीर से गंभीर बीमार गौवंश और जिनके गहरे जख्म में कीड़े तक लग गए हो, उनकी सेवा और उपचार बिना किसी भय के करते हैं। साथ ही अपने दोनों बच्चों को भी सेवा के लिए प्रेरित करते हैं। इससे अवकाश के दिन वे अपने पिता के साथ गौसेवा करते हैं।

सीखा उपचार करना

विभाग से मिले असयोग और समय की जरूरत को ध्यान में रखते हुए गौवंश का उपचार करना सीखा। पशु चिकित्सा विभाग के कर्मचारियों की देखरेख में दवा की जानकारी हुई और अब इंजेक्शन लगाने और छोटी-छोटी सर्जरी में सहयोगी के रूप में सेवा देते हैं। उनके उपचार से कई गायों को स्वास्थ्य का वरदान मिला।

बीमार गौवंश की सेवा से वंचित न हो जाएं और शहर की बीमार गायों को देखते हुए वे अन्य शहरों में मिलने वाली अच्छी सैलरी के पैकेज को भी स्वीकार नहीं करते हैं। उनका कहना है कि उनका जीवन गौ सेवा के लिए है और पतंजलि में सेल्स ऑफिसर की नौकरी से पूरी तरह से संतुष्ट हैं।

काम की शुरुआत तीन-चार लोगों के साथ हुई, लेकिन आज लगभग 25 से 30 लोग उनके साथ गौ सेवा कर रहे हैं। इस काम में काफी दिक्कतें भी आईं, लेकिन वे पीछे नहीं हटे। वहीं गौवंश के प्रति होने वाले अन्याय की आवाज बन प्रशासन को भी जाग्रत करने गांधीगीरी करते हैं और भजन के माध्यम से बीमार गौवंश के प्रति शासन का ध्यान आकर्षित कर सहयोग की अपील करते हैं। वे दिल्ली समेत कई जगहों पर गौवंश के लिए हुए आंदोलन का हिस्सा रह चुके हैं।

परिवार का सहा विरोध

उन्होंने बताया कि शुरुआती दौर में परिवार का विरोध भी सहना पड़ा। ऐसे में उन्होंने अपने परिवार को बीमार गौवंश की पीड़ा से अवगत करवाया, तो उनका परिवार भी गायों के प्रति उनकी संवेदनशीलता को देखते हुए उनके साथ खड़े हुए। इससे उनका कार्य और भी आसान हो गया

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