राजेश सोनी.
सूरजपुर-सूरजपुर जिला मुख्यालय के लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ पत्रकरो की गरिमा दिन प्रतिदिन गिरते जा रहा है जिसके लिये वे खुद जिम्मेदार है जो चंद पैसे के लिये अवैध करोबार सहित नशे के कारोबार मे प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रुप से दलाली का काम कर रहे है साथ ही अपना मान-सम्मान प्रतिष्ठा पर प्रश्नचिंह लगा दिए है| अब तो हद अब यह हो गई की अब कबाड तस्कर अपराधी भी करेगे पत्रकारिता।
सूरजपुर जिला मुख्यालय मे इन दिनो पुलिस के साथ साथ पत्रकारो की पत्रकारिता का स्तर दिन प्रतिदिन गिरता जा रहा है तो वही पत्रकारिता के आड मे नशीली दवाईयो के साथ अवैध कबाड़ का कारोबार फलफुल रहा है खुद को नामचीन समझने जताने वाले लोकतंत्र के पहरेदार की पोल किसी से छुपी नही है अब तो इसकी जमकर चर्चा व्याप्त है पुलिस,नेता,पत्रकार सब हमाम मे नंगे की कहावत मे एक कदम आगे बढते हुये सूरजपुर नगर के चर्चित जिला बदर सहित कई अपराधो मे लिप्त तत्व कबाड़ तस्कर अब लोकतंत्र की पहरेदारी करने मे लगे है कोई भी ऐरा गैरा पत्रकार बन बैठे है पैसे के दम मे।अभी हाल में कबाड तस्कर के प्रतिष्ठित समाचार पत्र से जुडने से पत्रकारिता की विश्वनीयता अंधेरे की गाल मे समा गई, ना तो प्रतिष्ठित अखबार को शर्म आई, ना ही जिले के मिडिया संस्थान को। कई समाजिक कार्यकर्ता ने नाम नही लिखने के शर्त मे बताया अब मिडिया संस्थाओ को चुल्लु भर पानी मे डुब मरने वाली बात अब हो गई,क्योकि अब यहा पर सुधरने की बजाये खुद मिडिया ने अपना हाल-चाल और खराब कर दिया है।
गौरतलब है कि पत्रकरिता की आड मे कई प्रकार-विकार के प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष अवैध कारोबार सहित दलाली करने वाले तथाकथित पत्रकार लोकतंत्र की हत्या करने मे लगे हुये है खुद को निष्पक्ष कहने वाले पत्रकार खुद कितने निष्पक्ष है पाठक बखुबी जानते समझते है पत्रकार के दोगले चऱित्र को…
बशीर बद्र की मशहूर शेर है…
लोग टुट जाते है एक घर बनाने मे,
तुम तरस नही खाते बस्तिया जलाने मे।
बरहाल पत्रकरिता मे सम्मान नही अपमान की लडाई जारी है जमकर दंगल हो रहे है, लोकतंत्र महापतन की है अगर कोई बेबाक, निर्भीक, निडर पत्रकार हिम्मत दिखाकर अवैध करोबार सहित भ्रष्ट पुलिस व्यवस्था की कु-कृत्यों से जुड़ी खबर प्रकाशित क्या की.. उसे जमकर कीमत चुकानी पडी। पत्रकार कौशलेद्र यादव को झूठे केश में फंसा कर उसकी चरित्र हत्या का षड्यंत्र.. बाकी कहानी चंद रुपयों में अपना ईमान धर्म बेचने वाली पुलिस ने पूरा कर दिया।।
समझना अभी बाकि है,
समझाना अभी बाकि है, आगे की दास्तां अभी बाकि…
’पत्रकारिता करना आसान नहीं रहा अगर आप निष्पक्ष बेबाक पत्रकारिता कर रहे हो तो थोड़ा संभल कर रहे हैं क्योंकि यहां आपका कोई सुनने वाला नहीं आपको झूठे केस में फसाया जा सकता है’ ’और बिना जांच किए हुए एफ आई आर दर्ज कर आपको गिरफ्तार करने की तैयारी में भी पुलिस जुट जाती हैं। ’ हालांकि भूपेश सरकार छत्तीसगढ़ में पत्रकार सुरक्षा कानून की बात तो जरूर करती रही हैं लेकिन उस पर अमल करने की उसकी नियत कही दिखाई नहीं दे रही है। पत्रकारों पर झुठे एफ आई आर दर्ज होने का क्रम चल निकलता है। जैसे यह तो अब आम बात हो गई है। तो वही मौके की ताक में बैठे कुछ बिकाऊ पत्रकार बिरादरी के ही लोग जिन्हें आप खबरी भेड़िया भी कह सकते है इस संपुर्ण सुनियोजित प्रकरण हिस्सा बनने हुये पीड़ित पत्रकार की इज्जत और सामाजिक प्रतिष्ठा का छीछालेदर करने पर भी लग जाते हैं।मिर्च मसाला के साथ उससे अपना व्यक्तिगत विद्वेष भुनाते है कि पीड़ित व्यक्ति कोई बहुत बड़ा अपराधी हो, और कौड़ियों के मोल बिकने वाले खबरी भेड़िए न्यायधीश बन गए हो।