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पति के आयु को लेकर तीजा निर्जला व्रत रखा जाता हैं

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पति के आयु को लेकर तीजा निर्जला व्रत रखा जाता हैं
यह त्यौहार बिहार,राजस्थान ,मध्यप्रदेष छत्तीसगढ़ में प्रमुख रूप से मनाया जाता हैं ।

इस बार तीज पर खास योग बन रहा है। ऐसे में इस शुभ मुहूर्त में पूजन करने से आपको दोगुना फल मिलेगा। लेकिन ध्यान रहे, व्रत और पूजन के दौरान इन कामों को करने से बचेंगे तो शुभ होगा। हरितालिका तीज का व्रत सुहागिन महिलाएं पति और परिवार का सौभाग्य प्राप्त करने के लिए जबकि कुंवारी लड़कियां अच्छा वर पाने के लिए करती हैं।

हरतालिका तीज*

हिन्‍दू कैलेंडर के अनुसार हरतालिका तीज भाद्रपद यानी कि भादो माह की शुक्‍ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है. इस बार हरताल‍िका तीज का व्रत 12 सितंबर को है.

०: *हरतालिका तीज का महत्‍व*

सभी चार तीजों में हरतालिका तीज का विशेष महत्‍व है. हरतालिका दो शब्‍दों से मिलकर बना है- हरत और आलिका. हरत का मतलब है ‘अपहरण’ और आलिका यानी ‘सहेली’. प्राचीन मान्‍यता के अनुसार मां पार्वती की सहेली उन्‍हें घने जंगल में ले जाकर छिपा देती हैं ताकि उनके पिता भगवान विष्‍णु से उनका विवाह न करा पाएं. सुहागिन महिलाओं की हरतालिका तीज में गहरी आस्‍था है. महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं. मान्‍यता है कि इस व्रत को करने से सुहागिन स्त्रियों को शिव-पार्वती अखंड सौभाग्‍य का वरदान देते हैं. वहीं कुंवारी लड़कियों को मनचाहे वर की प्राप्‍त‍ि होती है.

०: *हरतालिका तीज की तिथ‍ि और शुभ मुहूर्त!!*

तृतीया तिथि प्रारंभ: 11 सितंबर 2018 को शाम 6 बजकर 4 मिनट.
तृतीया तिथि समाप्‍त: 12 सितंबर 2018 को शाम 4 बजकर 7 मिनट.
प्रात: काल हरतालिका पूजा मुहूर्त: 12 सितंबर 2018 की सुबह 6 बजकर 15 मिनट से सुबह 8 बजकर 42 मिनट तक.
हरतालिका तीज का व्रत कैसे करें?
हरतालिका तीज का व्रत अत्‍यंत कठिन माना जाता है. यह निर्जला व्रत है यानी कि व्रत के पारण से पहले पानी की एक बूंद भी ग्रहण करना वर्जित है. व्रत के दिन सुबह-सवेरे स्‍नान करने के बाद “उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये” मंत्र का उच्‍चारण करते हुए व्रत का संकल्‍प लिया जाता है.

०: *हरतालिका तीज के व्रत के नियम!!*

– इस व्रत को सुहागिन महिलाएं और कुंवारी कन्‍याएं रखती हैं. लेकिन एक बार व्रत रखने के बाद जीवन भर इस व्रत को रखना पड़ता है.
– अगर महिला ज्‍यादा बीमार है तो उसके बदले घर की अन्‍य महिला या फिर पति भी इस व्रत को रख सकता है.
– इस व्रत में सोने की मनाही है. यहां तक कि रात को भी सोना वर्जित है. रात के वक्‍त भजन-कीर्तन किया जाता है. मान्‍यता है कि इस दिन व्रत करने वाली महिला अगर रात को सो जाए तो वह अगले जन्‍म में अजगर बनती है.
– मान्‍यता है कि अगर व्रत करने वाली महिला इस दिन गलती से भी कुछ खा-पी ले तो वह अगले जन्‍म में बंदर बनती है.
– मान्‍यता है कि अगर व्रत करने वाली महिला इस दिन दूध पी ले तो वह अगले जन्‍म में सर्प योनि में पैदा होती है.
हरतालिका तीज की पूजन सामग्री
हरतालिका व्रत से एक दिन पहले ही पूजा की सामग्री जुटा लें: गीली मिट्टी, बेल पत्र, शमी पत्र, केले का पत्ता, धतूरे का फल और फूल, अकांव का फूल, तुलसी, मंजरी, जनेऊ, वस्‍त्र, मौसमी फल-फूल, नारियल, कलश, अबीर, चंदन, घी, कपूर, कुमकुम, दीपक, दही, चीनी, दूध और शहद.
मां पार्वती की सुहाग सामग्री: मेहंदी, चूड़ी, बिछिया, काजल, बिंदी, कुमकुम, सिंदूर, कंघी, माहौर, सुहाग पिटारी.
हरतालिका तीज की पूजन विधि
हरतालिका तीज की पूजा प्रदोष काल में की जाती है. प्रदोष काल यानी कि दिन-रात के मिलने का समय. हरतालिका तीज के दिन इस प्रकार शिव-पार्वती की पूजा की जाती है:
– संध्‍या के समय फिर से स्‍नान कर साफ और सुंदर वस्‍त्र धारण करें. इस दिन सुहागिन महिलाएं नए कपड़े पहनती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं.
– इसके बाद गीली मिट्टी से शिव-पार्वती और गणेश की प्रतिमा बनाएं.
– दूध, दही, चीनी, शहद और घी से पंचामृत बनाएं.
– सुहाग की सामग्री को अच्‍छी तरह सजाकर मां पार्वती को अर्पित करें.
– शिवजी को वस्‍त्र अर्पित करें.
– अब हरतालिका व्रत की कथा सुनें.
– इसके बाद सबसे पहले गणेश जी और फिर शिवजी व माता पार्वती की आरती उतारें.
– अब भगवान की परिक्रमा करें.
– रात को जागरण करें. सुबह स्‍नान करने के बाद माता पार्वती का पूजन करें और उन्‍हें सिंदूर चढ़ाएं.
– फिर ककड़ी और हल्‍वे का भोग लगाएं. भोग लगाने के बाद ककड़ी खाकर व्रत का पारण करें.
– सभी पूजन सामग्री को एकत्र कर किसी सुहागिन महिला को दान दें।।

०: *सुहागिनों के लिए अहम पर्व*

हरियाली तीज कजरी तीज और करवा चौथ की तरह यह तीज सुहागिनों का व्रत है।
पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत सभी सुहागिनें निष्ठा के साथ रखती है। ऐसी मान्यता है कि भगवान शंकर को पाने के लिए माता पार्वती ने किया था, जिसमें उन्होंने अन्न और जल तक ग्रहण नहीं किया था। इसलिए यह व्रत महिलाएं निर्जला रखती हैं। इसमें महिलाएं भगवान शिव, माता पर्वती और गणेश जी की पूजा की जाती है। कई कुंवारी कन्या भी यह व्रत करती हैं।

०: *इस तीज के प्रमुख नियम*

यह व्रत निर्जला किया जाता है, जिसमें महिलाएं थूक तक नहीं घोंट सकती हैं।
भोजपुरी बेल्ट में इस व्रत का काफी महत्व है, जहां महिलाएं गीली, काली मिट्टी या बालू रेत से भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश की मूर्ति बनाकर पूजा करती हैं। इस व्रत का यह नियम है कि इसे एक बार प्रारंभ करने पर हर साल पूरे नियम से किया जाता है। महिलाएं एकत्रित होकर रतजगा करती हैं और भजन कीर्तन पूरे रात तक करती रहती हैं।

०: *क्यों कहते हैं हरतालिका*

यह दो शब्दों के मेल से बना माना जाता है हरत और आलिका. हरत का तात्पर्य हरण से लिया जाता है और आलिका सखियों को संबोंधित करता है. मान्यता है कि इस दिन माता पार्वती की सहेलियां उनका हरण कर उन्हें जंगल में ले गई थीं. जहां माता पार्वती ने भगवान शिव को वर रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था. हरतालिका तीज के पिछे एक मान्यता यह भी है कि जंगल में स्थित गुफा में जब माता भगवान शिव की कठोर आराधना कर रही थी तो उन्होंने रेत के शिवलिंग को स्थापित किया था. मान्यता है कि यह शिवलिंग माता पार्वती के जरिए हस्त नक्षत्र में भाद्रपद शुक्ल तृतीया तिथि को स्थापित किया था. इसी कारण इस दिन को हरतालिका तीज के रूप में मनाया जाता है।

 

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