छत्तीसगढ़ में बीजेपी ने इस वजह के चलते काटा सभी वर्तमान सांसदों का टिकट
लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ में सभी दस वर्तमान सांसदों की जगह नए चेहरे को टिकट दिए जाने के प्रदेश प्रभारी अनिल जैन के बयान के बाद अब सूबे की सियासत गरम है। पार्टी के इस बड़े फैसले के बाद मोदी सरकार में इस्पात मंत्री और रायगढ़ सांसद विष्णु देव साय, रायपुर से सात बार के सांसद रमेश बैस, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष और कांकेर से सांसद विक्रम उसेंडी, राजनांदगांव से सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह का भी टिकट कटना तय हो गया है। ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि पार्टी ने अपने सभी सांसदों के टिकट काटने का क्यों फैसला किया…
विधानसभा चुनाव में हार का इफेक्ट – विधानसभा चुनाव में बीजेपी की करारी हार के बाद ये तय हो गया था कि पार्टी इस बार लोकसभा चुनाव में कोई रिस्क नहीं लेगी। 2014 में मोदी की लहर के चलते बीजेपी ने सूबे की ग्यारह लोकसभा सीटों में से दस पर कब्जा कर लिया था। उस वक्त राज्य में बीजेपी की सरकार थी लेकिन इस बार परिस्थितियां एकदम अलग है। दिसंबर में जब विधानसभा चुनाव के नताजें आए तो पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व भी भौचक्का रह गया। चुनाव में मिशन 65 प्लस का नारा देने वाली पार्टी 15 विधायकों पर सिमट गई। इसके बाद तय हो गया था कि लोकसभा चुनाव में पार्टी टिकट बंटवारे में कड़ा रूख अपनाएगी। इसके साथ विधानसभा चुनाव में पार्टी ने इन सभी सांसदों को स्टार प्रचारक की जिम्मेदारी दी थी लेकिन ये सभी स्टार प्रचारक कोई कमाल नहीं दिखा पाए और ये तय हो गया था कि पार्टी छत्तीसगढ़ में बड़ी सर्जरी करेगी।
सांसदों की सर्वे रिपोर्ट निगेटिव – विधानसभा चुनाव में हार के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने टिकट बंटवारे को लेकर जो सर्वे कराया था उसमें सभी सांसदों की रिपोर्ट निगेटिव आई थी। इसके बाद इन सभी सांसदों के टिकट पर तलवार लटक रही थी। इसके साथ ही पार्टी अध्यक्ष अमित शाह इन सांसदों के कामकाज से खुश नहीं थे। पिछले दिनों अमित शाह जब छत्तीसगढ़ के दौरे पर आए थे तो उन्होंने अपनी नाराजगी साफ दिखाई थी।
एंटी इनकमबेंसी को खत्म करने की कवायद – सभी वर्तमान दस सांसदों के टिकट काटे जाने के फैसले को पार्टी के खिलाफ सूबे में बनी एंटी इनकमबेंसी को खत्म करने की कोशिश से भी जोड़ा जा रहा है। विधानसभा चुनाव के नतीजें इस बात का साफ संकेत है कि बीजेपी के खिलाफ सूबे में तगड़ी एंटी इनकमबेंसी है। इसका फायदा सीधे कांग्रेस को विधानसभा चुनाव में मिला और कांग्रेस ने उस आंकडे को छू लिया जिसका नारा बीजेपी ने दिया था। कांग्रेस चुनाव में पार्टी के वर्तमाम सांसदों और मोदी सरकार के खिलाफ एंटी इनकमबेंसी फैक्टर को भुना नहीं पाए जिसके चलते पार्टी ने ये फैसला लिया है।
दिग्गजों पर दांव लगाने की तैयारी –
विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद केंद्रीय नेतृत्व इस बार सभी ग्यारह लोकसभा सीटों पर दिग्गज उम्मीदवारों को उतारने की तैयारी में है। पार्टी राजनांदगांव से पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह, रायपुर से पूर्व मंत्री बृजमोहन अग्रवाल, बिलासपुर से पूर्व मंत्री अमर अग्रवाल और दुर्ग से पूर्व सांसद सरोज पांडे को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतार सकती है। पार्टी जानती है कि इस वक्त सूबे में पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटा हुआ और अगर पार्टी के कार्यकर्ताओं के मनोबल को उठाना है तो बड़े नेताओं को मैदान में सक्रिय करना पड़ेगा।